महाकाल में भस्मारती के बाद श्रद्धालुओं को मिलेगा नाश्ता, – मंदिर प्रबंध समिति दानदाताओं के सहयोग से श्रद्धालुओं को चाय-पोहा देगी

दैनिक अवंतिका उज्जैन। महाकाल मंदिर में रोज तड़के 4 बजे होने वाली भस्मारती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को अब भस्मारती समाप्त होने के बाद नाश्ता कराया जाएगा। मंदिर प्रबंध समिति जल्द ही यह नई व्यवस्था शुरू करने जा रही है जो कि दानदाताओं के सहयोग से संचालित की जाएगी। इसमें श्रद्धालुओं को चाय व पोहा आदि का नाश्ता कराया जाएगा।

मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि भस्मारती अल सुबह होती है, जिसमें शामिल होने के लिए देशभर से आने वाले श्रद्धालु एक दिन पहले ही आधी रात से लाइन में लगते हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी होते हैं। सुबह के समय उन्हें भूख भी लगती है। इसको ध्यान में रखते हुए भस्मारती के बाद उन्हें नाश्ता देने की योजना बनाई है। भस्मारती में आने वाले श्रद्धालुओं को नाश्ता कराने की योजना वर्ष 2019 में समिति में प्रस्ताव के रूप में आई थी। लेकिन इसके बाद कोरोना के चलते इस पर निर्णय लेकर इसे लागू नहीं किया जा सका था।

सुबह 6 बजे भस्मारती समाप्त होने के बाद मिलेगा नाश्ता
प्रशासक धाकड़ ने कहा प्रतिदिन सुबह 6 बजे भस्मारती समाप्त होने के बाद श्रद्धालुओं को नाश्ता कराएगी। सुबह 8 बजे नाश्ता दिया जाएगा। करीब 2000 श्रद्धालुओं के लिए यह व्यवस्था की जाएगी। इसमें दानदाताओं का सहयोग लिया जाएगा। सप्ताह में हर दिन अलग नाश्ता रखेंगे। जिसमें चाय प्रतिदिन रहेगी। इसके अलावा पोहा, खिचड़ी, कोचोरी, खमण आदि नाश्ते में देंगे।

50 लीटर दूध और 40 किलो पोहा रोज के नाश्ते में लगेगा
भस्मारती के बाद होने वाले 2000 श्रद्धालु के नाश्ते में 50 लीटर दूध व 40 किलो पोहा रोज लगेगा। इसके अलावा मीनू अनुसार जो नाश्ता बनेगा उसकी सामग्री भी लगेगी। नाश्ता तैयार करने की जिम्मेदारी मंदिर के नि:शुल्क अन्नक्षेत्र को सौंपी जाएगी। नाश्ता बनाने के लिए रात 2 बजे से कर्मचारियों की टीम जुटेगी।

श्रद्धालुओं को समिति मंदिर में टोकन देगी नाश्ते के लिए

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति नाश्ते के लिए श्रद्धालुओं को टोकन देगी। यह टोकन मंदिर के अंदर व अन्नक्षेत्र में स्थित काउंटर से प्राप्त किया जा सकेगा। भस्मारती सम्पन्न होने के बाद श्रद्धालु मंदिर परिसर में लगे काउंटर से टोकन लेकर नि:शुल्क अन्नक्षेत्र पहुंचकर टोकन देकर नाश्ता कर सकेंगे।