किसानों को दर्द नहीं देगी स्प्रे मशीन, इंदौर में एसजीएसआईटीएस के 4 छात्रों ने बनाया सोलर स्प्रे, कीमत भी बाजार से आधी
इंदौर। प्रदेश के श्रेष्ठ तकनीकी शिक्षण संस्थान एसजीएसआईटीएस के 4 छात्रों ने सोलर ऑपरेटेड एर्गोनॉमिक नेप्सेस स्प्रेयर मशीन बनाई हैं। यह मशीन पूरी तरह से सोलर सिस्टम और बैटरी पर काम करती है। मशीन की खास बात यह है कि इसमें लगी बैटरी सोलर सिस्टम से ही चार्ज भी हो जाती हैं। इस मशीन से किसान अपनी फसलों पर आसानी से स्प्रे कर सकेंगे। इतना ही नहीं इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध इलेक्ट्रिक और पेट्रोल से चलने स्प्रे करने वाली मशीनों की तुलना में आधी है।
स्प्रेयर मशीन को बनाने वाले छात्र श्याम शर्मा ने बताया कि मशीन को फाइनल ईयर के मेजर प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। मशीन सिस्टम के जरिए सोलर एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में कन्वर्ट करके मोटर में सप्लाई की जाती हैं। इसके बाद स्प्रेयर मशीन का नोजल वर्क करता है।
इस मशीन मे सोलर के साथ- साथ बैटरी का इस्तेमाल भी किया गया हैं। इस बैटरी की खास बात यह है कि इसे इलेक्ट्रिसिटी से चार्ज नहीं करना पड़ता है। मशीन की बैटरी सोलर सिस्टम से ही ऑटोमेटिक चार्ज हो जाती हैं। वहीं मशीन में लगी बैटरी पोर्टेबल है। जिसे निकाला भी जा सकता है।
4.5 हजार रुपए में बनकर हुई तैयार
मशीन को बनाने में 4.5 हजार रुपए का खर्च आया है। लेकिन हम इस मशीन का मास प्रोडक्शन करें तो यह 3 हजार रुपए में ही तैयार हो जाएगी। इस मशीन को 4 स्टूडेंट की टीम श्याम शर्मा, ऋषभ सिंह, उत्कर्ष ठाकुर और शब्बीर वकील ने कॉलेज के प्रो. डॉ. कृष्णकांत धाकड़ और डॉ. अवधेश दलपति के मार्गदर्शन में बनाया हैं।
ऐसे आया आइडिया मशीन बनाने का
श्याम शर्मा ने बताया कि हम तीन छात्र किसान परिवार से हैं। हम घर पर देखते थे कि स्प्रेयर करने वाली मशीनें जो इस्तेमाल होती हैं, उससे बदन दर्द होता है।
इस मशीन से बदन दर्द नहीं होता
एसजीएसआईटीएस के मीडिया प्रभारी एलेक्स कुट्टी ने बताया कि स्टूडेंट ने यह मशीन एर्गोनॉमिक डिजाइन पर तैयार की हैं। जिससे शरीर के पिछले हिस्से में पड़ने वाला पूरी बॉडी पर यूनिफॉर्मली डिस्ट्रीब्यूट हो जाता है। जिस वजह से दर्द नहीं होता हैं। वहीं मशीन में कुशन के पट्टे लगाए गए हैं। जिससे शोल्डर और कमर पर बांधने से शरीर पर प्रेशर क्रिएट नहीं होता है।इस मशीन को 4 स्टूडेंट की टीम श्याम शर्मा, ऋषभ सिंह, उत्कर्ष ठाकुर और शब्बीर वकील ने कॉलेज के प्रो. डॉ. कृष्णकांत धाकड़ और डॉ. अवधेश दलपति के मार्गदर्शन में बनाया हैं।