नेशनल पार्क भोपाल से 25 चीतल खिवनी अभ्यारण्य लाये
देवास। टाइगर सेल देवास अंतर्गत कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला द्वारा खिवनी वन्यप्राणी अभ्यारण्य के विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। खिवनी अभ्यारण में चित्तल हिरण का आना लगातार जारी है। अधीक्षक वन्यप्राणी अभ्यारण्य खिवनी ने बताया कि कुसमानिया- वन्यप्राणी अभ्यारण्य खिवनी के वन क्षेत्र मे शाकाहारी वन्यप्राणियो की संख्या को बढ़ाने एवं मांसाहारी वन्य प्राणीयों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो इस हेतु चितल हिरण का स्थानांतरण प्रोग्राम लगातार जारी है। विदित हो कि अभयारण्य में वर्तमान में नील गाय, साम्भर हिरण, चौसिंघा एवं जंगली सुअर मौजूद है जिन्हें बाघ एवं तेंदुआ लगातार अपना शिकार बनाते रहते हैं किंतु अभ्यारण्य में चित्तल हिरण की संख्या बहुत कम थी जिसे बढ़ाने के लिए अन्य संरक्षित क्षेत्र से खिवनी अभ्यारण्य में चित्तल के स्थानांतरण को स्वीकृती प्रदाय की गई थी। विगत रात्रि में वन विहार नेशनल पार्क भोपाल से कुल 25 चीतल (स्पॉटेड डियर) सफलतापूर्वक स्थानांतरित किये गए है, पूर्व में लाये गए चित्तल एवं वर्तमान में स्थानांतरित चित्तल को मिलाकर अब तक कुल 78 चित्तल विभिन्न संरक्षित क्षेत्र से स्थानन्तरित किये जा चुके है। शाकाहारी वन्यप्राणी की संख्या बढ?े से मांसाहारी वन्यप्राणी को जंगल के भीतर पर्याप्त भोजन उपलब्ध होगा एवं वे जंगलो से बाहर नहीं निकलेंगे जिससे की ह्यूमन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट की संभावनाएं कम होगी। साथ ही जंगल सफारी के लिए आने वाले टूरिस्ट को भी वन्यप्राणी को प्रत्यक्ष रूप से देखने की संभावना भी बढ़ेगी। वन्यप्राणी खाद्य श्रंखला में शाकाहारी वन्यप्राणियों का महत्वपूर्ण स्थान है, इनकी उपस्थिति खाद्य श्रृंखला को मजबूती प्रदान करेगी। अभ्यारण्य खिवनी जो कि बाघ का भी स्थाई निवास है एवं कुछ दिन पूर्व ही बाघिन राधा द्वारा दो नए शावकों को भी जन्म दिया गया है। चित्तल का आगमन निश्चित ही बाघ एवं तेंदुआ के लिए भोजन की उपलब्धता में सहायक होगा। साथ ही शाकाहारी वन्यप्राणी के लिए भी नए चारागाह विकसित किए जाएंगे।