गंदगी में तब्दील सड़कें, कचरा वाहन और डस्टबीन के हालात खराब
सारंगपुर। समीपस्थ ग्राम पंचायत पड़ाना में ज्यादातर लोग निम्न एवं मध्यम वर्ग के निवास करते हैं। यहां धरातल पर जो कुछ है वह काफी चौंकाने वाला था। कस्बे में कई गलियों में तो सड़कें हैं ही नहीं। इसके अलावा पूरे क्षेत्र में पानी की निकासी के लिए कहीं भी सही ढंग से नालियां नहीं होने के कारण पानी रास्तों पर ही खुले में बहता है। कई सड़कें ऐसी भी हैं जहां दल-दल जैसे हालात बने हुए हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि कस्बे के कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जो बारिश के दिनों में तालाब में तब्दील हो जाते हैं। कई शिकायतों के बाबजूद न तो अधिकारी सुनते हैं और न ही पंचायतर्की ने इस ओर कोई ध्यान दिया। कुल मिलाकर हालात बेहद खराब हैं।
हाट मैदान में रहने वाले कस्बेवासियों के अनुसार सफाईकर्मी सप्ताह में एक बार शुक्रवार को कचरा इकट्ठा करते है लेकिन उसके वहीं पर छोड देते है। इससे मैदान के बीचों-बीच कचरे का ढेर लग गया है। खास बात यह है कि इस कचरे को उठाने के लिए भी अब कचरा गाड़ी नहीं आती है। मोहल्ले वासियों के अनुसार अगर सफाईकर्मी से कचरा हटाने के लिए कहा जाता है तो वह अनसुनी कर देते हैं।
नहीं आता कचरा वाहन
जनपद के अधिकारी भले ही स्वच्छता अभियान के क्रम में यह दावा करते है कि पंचायत में कचरा वाहन हर वार्ड में, प्रत्येक कालोनी की हर गली में कचरा कलेक्शन के लिए जाता है, लेकिन पड़ाना वासियों का कहना था कि उनके यहां वाहन कचरा कलेक्शन के लिए महिनों से नहीं रहा है। इस कारण उन्हें खुले में कचरा फेंकना पड़ता है।
ये बोली जनता-
पड़ाना हाट मैदान को कांकरिया से सारंगपुर मार्ग से जोड़ने वाले डाबरी स्थित मुख्य मार्ग में ही दलदल जैसे हालात बने हुए हैं। इस रास्ते से पैदल तो दूर गाड़ी से निकलना तक मुश्किल हो जाता है। पंचायत को स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायत दर्ज कराई हैं। न तो अधिकारी सुनते हैं और न ही जनप्रतिनिधि को सुनवाई देता है।
संतोष कुमार, रहवासी
हाट मैदान में सप्ताह में एक बार सफाई होती है लेकिन पंचायत के सफाई कर्मी कचरे को मैदान में ही एकत्रित कर छोड जाते है। इसे साथ उठाकर नहीं ले जाते है। कचरा वाहन बंद होने से कचरा पुन: वही फैल जाता है।
रफीक अंसारी, रहवासी
कस्बे के मुख्य प्रवेश द्वार पर खाती मोहल्ले के पास ही गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यह लोग कचरा फेंंक रहे है। लेकिन कचरें को सफाईकर्मियों द्वारा उठाया नहीं जा रहा है। जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देना चाहिये।
लखन खाती, रहवासी