मुंबई में गेहूं निर्यात का फर्जीवाड़ा, इंदौर- उज्जैन में जांच
इंदौर में छावनी के तीन से ज्यादा व्यापारियों के ठिकानों पर पहुंची मुंबई ईओडब्ल्यू की टीम
इंदौर। गेहूं निर्यात में फर्जीवाड़ा करने के मामले में दोषी पाई गई मुंबई की दो कंपनियों की जांच की आंच इंदौर- उज्जैन के व्यापारियों तक पहुंच गई है। मुंबई के अधिकारियों का दल इंदौर में अनाज व्यापारियों के यहां छानबीन करने पहुंचा। छावनी अनाज मंडी के तीन से ज्यादा कारोबारियों और फर्मों के जुड़े लोगों से मुंबई की टीम ने पूछताछ की।
मुंबई की दो कंपनियों को वाणिज्य मंत्रालय और विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गेहूं निर्यात का दोषी माना है। फर्मों के पास सरकारी वितरण का गेहूं भी मिला था।
रूस यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व में खाद्यान्न संकट पैदा हो गया था। विदेश की मांग का फायदा उठाते हुए देश से मार्च, अप्रैल और मई के महीने में जमकर गेहूं का निर्यात किया गया। जरूरत का गेहूं स्टाक में रखने और देश मेें कीमतों को काबू में रखने की गरज से 13 मई को सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद सरकार ने आदेश जारी किया था कि 13 मई से पहले जिन फर्मों के निर्यात के अनुबंध यानी लेटर आफ क्रेडिट (एलसी) जारी हो चुके हैं वे ही अपनी खेप जहाज पर लदान कर सकेंगे।
इसके बाद गेहूं लदान और निर्यात की अनुमति हासिल करने के लिए निर्यात कंपनियों ने डीजीएफटी को एलसी के साथ आवेदन भेजे थे। वाणिज्य मंत्रालय ने सख्ती से जांच की तो मुंबई की दो कंपनियों प्राइड एग्रो फ्रेश और गणपति ट्रेडर्स पर फर्जी एलसी बनाकर प्रस्तुत करने का आरोप सिद्ध हुआ। इनमें से एक कंपनी प्राइड एग्रो ने बड़े पैमाने पर मप्र और इंदौर के व्यापारियों से भी गेहूं खरीदा था।
सरकारी गेहूं भी मिला, बिल में इंदौर- उज्जैन के व्यापारियों के भी नाम
सूत्रों के अनुसार प्राइड एग्रो के स्टाक की आगे जांच में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) का गेहूं भी मिला था। डीजीएफटी की रिपोर्ट के आधार पर मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कंपनियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था। कंपनी ने जांच अधिकारियों को अपने खरीदी के दस्तावेज और बिल सौंपे थे। उसमें इंदौर और उज्जैन के व्यापारियों के नाम भी थे। इसके बाद मुंबई ईओडब्ल्यू की टीम इंदौर पहुंची और छावनी अनाज मंडी के व्यापारियों के रिकार्ड खंगाले। व्यापारियों से पूछा गया कि उन्होंने जो गेहूं मुंबई भेजे वो कहां से खरीदे गए। व्यापारियों ने कहा कि मंडी और किसानों से गेहूं खरीदे गए। इस पर व्यापारियों के बिल, वाउचर, अनुज्ञा पत्र भी मांगे गए। लिखित बयान के साथ ही व्यापारियों और उनको आपूर्ति करने वाले अन्य लोगों के दस्तावेज और बैंक स्टेटमेंट लिए गए। साथ में वीडियो और फोटो भी लिए गए। टीम उज्जैन के व्यापारियों के यहां जांच के लिए पहुंच रही है।
जांच में टीम व्यापारियों के माल से संतुष्ट
इस बारे में इंदौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल का कहना है कि मुंबई की प्राइड एग्रो ने देशभर से गेहूं खरीदा था। इंदौर के व्यापारियों ने भी गेहूं भेजा था। जांच के लिए आए अधिकारी देशभर में सभी के यहां जा रहे हैं। यहां के व्यापारियों ने दस्तावेज पेश कर दिए कि पूरा गेहूं किसानों या मंडी (एपीएम) उपार्जन से खरीदा है। वैसे भी एफसीआइ का गेेहूं जूट के बोरों में मिला है। यहां से आपूर्ति प्लास्टिक बैग में हुई थी। अधिकारी संतुष्ट हैं।