बहनों ने भाई की कलाई पर बांधी प्रेम की डोर
सुसनेर। भद्रा के असमजस्य के बीच भाई बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार सुसनेर एवं ग्रामीण अंचलों में गुरूवार को हर्षोउल्लास से मनाया गया। बहन ने भाई की कलाई पर प्रेम की डोर बांधी,तो भाई ने भी बहनों की जीवन भर रक्षा करने का संकल्प लिया। बहनों द्वारा बांधे गए रक्षा कवच को देखकर भाई यही कहते दिखे कि ओ बहना तेरे लिए मेरे पास कुछ खास है, तेरे सुकून की खातिर मेरी बहना तेरा भाई हमेशा तेरे साथ है। खास बात रही कि हर भाई ने बहन को जो उपहार भेंट किए बहन ने भी उसका कीमत से नहीं आंका, बल्कि उसमें छिपे प्यार को महत्व दिया। दिनभर बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर राखी बांधने का सिलसिला चलता रहा। भाइयों ने बहनों को बदलें में उनकी रक्षा का वचन तो दिया, कपडे सहित अन्य उपहार भी भेंट में दिए। घरो में विभिन्न प्रकार के पकवान बना कर बहनों की आवभगत की गई। नगर के मुख्य बाजारों में राखी, नारियल, पतासे, मिठाई, फल आदि की दुकानों पर तो भीड रही वहीं सडको पर वाहनो की रेलमपेल रही। रक्षाबंधन पर बाजारों में विशेष चहल पहल दिखी दुकानें रंग-बिरंगी राखियों से भरी हुयी थीं। मिठाइयों की दुकानों में भी काफी भीड़ थी। ऐसा नही है कि रक्षाबंधन का पर्व भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है बल्कि इस प्रेम के पर्व को पर्यावरण प्रेमियो ने भी प्रकृति के साथ मनाया। कई पर्यावरण प्रेमियों ने पेडो में रक्षासूत्र बांधकर प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिया।
कानड़
भाई बहन के अटूट स्नेह का पावन पर्व रक्षाबंधन गुरुवार को नगर में हर्ष उल्लास से मनाया गया। सावन की पूर्णिमा पर बहनों ने रक्षा सूत्र से भाइयों की कलाइयां सजाई । बहनों ने अपने भाई को राखी बांधी, फिर तिलक लगा कर मुंह मीठा कराकर भाई की लम्बी उम्र की कमाना की। राखी बंधवाने के बाद भाई बहन को रक्षा का आशीर्वाद एवं उपहार दिया। बहनों ने राखी बांधते समय भाई की लंबी उम्र एवं सुख उन्नति की कामना की।
अकोदिया मंड़ी
भाई बहन के प्रेम स्नेह व रक्षा के अटूट रिष्ते का प्रतिक रक्षाबंधन हर्षोउल्लास स मनाया गय। राखी बांधने का सिलसिला सुबह 10:00 से लेकर देर षाम तक चलता रहा। सजीधजी थालीयों में राखी, नारीयल, मिठाई लिए बहनों ने अपने भाईयों के भाल पर तिलक लगाकर कलाईयों पर प्रेम स्नेह का अटूट सूत्र बांध कर भाईयों की लम्बी आयु व सुखी जीवन की कामना की। वहीं भाईयों ने बहनों की रक्षा का संकल्प लिया और उपहार स्वरूप कई तरह की भेंट दी।रक्षाबंधन से पूर्व ही बहनों ने सभी तरह की तैयारीयां करली थी,जो राखी के दिन भाईयों को राखी बांधने को लेकर उनकी खुषीयों से भरे उत्सुक चेहरे पर देखने को मिली। दर असल पिछले दो साल से कोरोना संकट के चलते त्यौहार फीके रहे थे। लेकिन इस बार टीकाकरण के बाद लोगों में खुलकर त्यौहार मनाने की खुषी देखी गई। वहीं पिछले साल रेल एवं बस सेवा सुगम नही होने के कारण ज्यादातर बहनों ने पोस्ट द्वारा राखीयां भेजी थी तो किसी ने व्हाटसप के माध्यम एवं वीडीयोकॉल के जरिए बहनों से बातें की थी। पर इस बार घरों से लकर बाजारों में रोनक व खुषी का महोल है।
स्वदेशी राखीयों से सजी भाईयों की कलाई- कोरोना संक्रमण के समय हमारे सैनिकों पर धोखे से हमला करने वाले दगाबाज चीन की विदेषी राखी इस बार व्यापारीयों ने बेचने से परहेज किया,परिणाम स्वरूप बाजार में चीनी राखीयों के बजाए बहनों ने भी स्वदेषी राखीयां खरीदकर अपने भाईयों की कलाई पर बांधकर राष्ट्धर्म निभाते हुए खुषीयां प्रकट की।