डोल ग्यारस पर्व पर भगवान के झूले निकाले
इंगोरिया। भारत में मौसम परिवर्तन पर कोई न कोई त्यौहार की रचना हमारे पूर्वजों ने की है । चौपाटी स्थित श्री राम मंदिर एवम छोटे मंदिर की सामूहिक पालने में विराजित कृष्ण गोपाल की झांकी डी जे के साथ धूमधाम से निकली। इस दिन लोग स्वस्थ रहने के लिए उपवास पूजापाठ करते हैं।
भाद्रपद शुक्ल की इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं । क्योंकि यह मौसम परिवर्तन का संकेत है । जल झूलनी एकादशी की प्राचीन कहावत है कि देव झुलया व मेव खुल्या। वषार्काल बीतने की ओर है । बारिश के आसार कम है। बादल छटेंगे । अचानक आश्विन (क्वार) की तेज धूप पड़ेगी । पंचतत्वों की ऊर्जा बढ़ेगी । कुल मिलाकर मौसम करवट लेगा । जिसे धार्मिक रूप से हमें कथाओं के माध्यम से शयन करते हुए भगवान विष्णु के करवट बदलने से प्रकृति का विज्ञान समझाया गया है । डोले में विराजित लड्डू गोपाल के चल समारोह के साथ पंडित राजेंद्र त्रिवेदी, जीवन गुर्जर, दिनेश केवट, सत्य नारायण चौधरी, ओंकार कुशवाहा, अजबसिंहजी, अखलेश त्रिवेदी, गौरीशंकर कुमावत, आनंद विश्व कर्मा सहित वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे।