बारिश बनी कहर, सोयाबीन की फसल सड़ने का भय
रुनीजा। लगता है इस बार बारिश व जाता जाता मानसून अन्नदाता अन्न अन्न से मोहताज करके ही मानेगा। बढ़ती महंगाई ,कम मिलते भाव, वही भारी लागत से एक और तो किसानों की कमर टूट गई है। वही सोयाबीन की फसल में इस बार पीला मोजक, इल्ली , वायरसके साथ-साथ अतिवृष्टि और अब जब सोयाबीन की फसल कटाई शुरू हो चुकी हैं। और बची कुची फसल को अन्नदाता समेटने में लगा है तो एक बार फिर जाते-जाते मानसून की बारिश में किसानों पर कहर बरसा रही है।
मानसून ने जाते-जाते भी रुनीजा, माधवपुरा, गजनीखेड़ी सहित क्षेत्र में जमकर कोहराम मचाया खेतों में सोयाबीन की फसलें कटी हुई पड़ी जिसमें पानी भर गया और अब लोग कीचड़ में कोरिया पलटाने पर मजबूर हो गए ।सोयाबीन अंकुरित होने लगी है। जिन लोगों ने मटर की फसल बो दी थी उसमें भी नुकसान की संभावना है।इस संदर्भ में सतीश नागर ने बताया कि खेत में पानी भर जाने से मटर बीज अंदर ही सड़ गया होगा और उसके उगने की संभावना खत्म हो गई है। पहले से ही तो सोयाबीन बीमारी की चपेट में आ गई थी। लहसुन का खर्चा भी नहीं निकला और ऊपर से जाते जाते मौसम किसानों का और बुरा हाल कर गया है। जिन किसानों ने अपनी सोयाबीन निकाली है।वह भी मात्र एक, डेढ़ , या अधिकतम दो क्विंटल बीघा के मान से निकली । अब इसमें किसान बेचारा क्या क्या करे।
तराना। शुक्रवार को 4 दिन के अवकाश के बाद मंडी में बंपर आवक रही मंडी सचिव विजय मारवाड़ ने बताया कि मंडी में लगभग 5000 बोरी सोयाबीन की आवक हुई। सोयाबीन का सबसे ऊंचा भाव5000 रहा। नई सोयाबीन का भाव 4 हजार से 4500 तक रहा। कृषकों ने बताया कि बुधवार- गुरुवार को अचानक हुई बारिश के कारण सोयाबीन की आवक कम हुई है।बारिश के चलते सोयाबीन की कटाई का काम प्रभावित हुआ है। खेत गीले होने की वजह से हार्वेस्टर खेत में नहीं जा सकते हैं। शुक्रवार को भी नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश हुई।वही कटी हुई फसल भी खेतों में है सूखने के बाद ही मशीनों से निकाली जाएगी इस प्रक्रिया में 10 से 15 दिन तक कृषक कृषि कार्य में और व्यस्त रहेंगे। अभी 2 दिनों से हो रही बेमौसम बारिश किसानों के लिए आफत बन गई है।हार्वेस्टर मशीन से कटाई का काम कम समय में हो जाता है जिसकी लागत भी सामान्य रहती है। वही बारिश के कारण यह काम मजदूरों की मदद से होगा इसमें समय के साथ साथ लागत भी बढ़ेगी,गीली सोयाबीन को सुखाना पड़ेगा।