इंदौर में ओवरब्रिज की राजनीति: कोरोना संक्रमण उतरते ही नगरीय निकाय चुनाव की आहट
पूर्व सभापति नरूका ने मध्यान्ह पिलर को लेकर जताया विरोध
इंदौर। स्व. माधवराव सिंधिया की विशालकाय प्रतिमा शिफ्ट कर यह माना जा रहा था कि अब बंगाली ओवर ब्रिज निर्माण में कोई बाधा नहीं है, और यह ब्रिज तेजी से बन जाएगा। शिपिंग के दौरान खुद मंत्री तुलसी सिलावट मौजूद थे जो कि सिंधिया के बहुत ही करीबी हैं। आज अचानक ओवर ब्रिज से जुड़ी राजनीति ने नया मोड़ ले लिया। नगर निगम के पूर्व सभापति अजय नरूका ने ओवर ब्रिज को लेकर नया मोर्चा खोल दिया है। श्री नरूका का कहना है कि बंगाली ओवर ब्रिज के मध्य दो पिलर के बीच की लंबाई दशकों तक चलने वाले सुगम यातायात के लिए 18 मीटर की जगह 40 मीटर का स्थान बगैर पिलर का बने। ब्रिज बनाने वाला विभाग पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से कई बार आग्रह करने के पश्चात भी वे मध्यान्ह को 20 मीटर पर रखने पर ही अड़े हैं। जिसके कारण बीच में पिलर बनने से यातायात प्रभावित होगा। लोगों को पुनः पूर्ववत स्थिति का सामना करना पड़ेगा। यह हमारे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। इस पर हमारा विरोध है।
पूर्व सभापति नरूका मुख्यमंत्री व मंत्री से चर्चा के लिए सांसद शंकर लालवानी तथा विधायक महेंद्र हार्डिया को अवगत करवाएंगे। इसका कवरेज करने के लिए बाकायदा मीडिया को भी आमंत्रित किया गया है। यानी अब ओवरब्रिज की राजनीति शुरू हो गई है। सरकार भी उन्हीं की है और फैसला भी उन्हीं की सरकार को लेना है। राजनीतिक चश्मे से देखने वालों का तो मानना यह है कि कोरोना का संक्रमण उतरते ही नगरीय निकाय चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। इसी आहट का नतीजा है ओवरब्रिज की राजनीति।