अब तो हद हो गई घोड़ा रोज के नुकसान से चारों ओर मच रही त्राहि-त्राहि

रुनिजा। अन्नदाता के खून पसीने की मेहनत और अरमानों को खुलेआम रौंद रहे हैं घोड़ा रोज अब तो चारों ओर इससे इनके आतंक से त्राहि त्राहि मची है ।हर कोई यही कह रहा अब तो हद हो गई हैं। अपनी बर्बाद होती फसलों को देखकर खून के आँसू पी रहे अन्नदाता उनके लिए यह बीमारी अब नासूर बन चुकी हैं। और इसका कोई हल नजर नहीं आ रहा है ।
सरकार प्रशासन सबसे गुहार लगा लगा कर, ज्ञापन देकर,मांग कर करके हार चुके हैं ।लेकिन वह भी इन घोड़ा रोजो से मुक्ति दिलाने आगे नहीं आ रहा है। उक्त वन्य प्राणी घोड़ा रोज का साम्राज्य मालवा क्षेत्र में चारों ओर फैल चुका है। रुनीजा माधवपुरा, गजनीखेड़ी, मालगावड़ी, रतागड खेड़ा, चारो और यह एक विकट समस्या बनती जा रही हैं। रुनीजा के विश्वजीत सिंह राठौर राधेश्याम साधु, बाबू लाल राठौड़, गजनी खेड़ी के अनु पाटीदार, हेमराज चावड़ा, बड़गांवा सरपंच गोपाल मामा, खेड़ावदा सरपंच राजेश धाकड़, माधवपुरा सरपंच सत्यनारायण नागर, गजनीखेडी सरपंच प्रतिनिधि कौटिल्य सिह राठौर सहित ऐसे कई किसानों ने बताया कि 10, 10, 20,20 के झुंड में यह घोड़ा रोज खड़ी फसलों में दौड़ रहे हैं।
वर्तमान में मटर, गेहूं, चने, यहां तक कि प्याज व लसुन चोपी जा रही उनमें भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। दौड़ने के साथ-साथ इन फसलों में लौट रहे हैं जिससे काफी नुकसान हो रहा है। इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं यदि अकेला इंसान ने भगाने जाए तो आजकल यह हमला भी कर देते हैं। यही नहीं इनके फरार्टे भरने से कभी-कभी सड़कों पर भी घटनाएं दुर्घटनाएं हो रही हैं ।वाहन चालक भी घायल हो रहे हैं लेकिन अब चारों ओर से बस एक ही मांग हो रही हैकि आखिर इस बीमारी से निजात दिलाएगा कौन।