मनुष्य बुद्धि का सद्उपयोग करके नर से नारायण की उपाधि तक जा सकता- अंजली आर्य

बड़ौद। नगर में वेद तथा महायज्ञ समिति बड़ौद के तत्वाधान में चल रही वेद एवं रार्ष्ट् कथा के तीसरे दिन वेद कथा का वाचन कर रही करनाल हरियाणा की दीदी अंजली आर्य ने आज की कथा में बताया कि मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसे बृद्वि दी गई है। वह चाहे तो इसका सदुपयोग करके उन्नति की ओर जा सकता है और नर से नारायण की उपाधि तक जा सकता है । किंतु कुछ लोग अपनी बृद्वि का दुरूपयोग भी करते है । वही अंजली आर्य द्वारा श्री कृष्णजी के जन्म के बारे में बताते हुए कहा कि कृष्ण और बलराम द्वारा किस प्रकार से कंस के आतंक से बचने के लिए सुनियोजित व्यवस्था कर गोकुल वासियों को बचाया था और साथ ही गोवर्धन पर्वत के आसपास खाई खोदकर गोेकुल वासियों को गोवर्धन पर्वत पर ले जाकर कंस के आतंक से बचाने का प्रयास किया था। इसलिए उन्हें एक उपमा के रूप में गोर्वधन पर्वत को एक उंगली पर उठा लिया जाता है कहा जाता है कि वहीं दीदी अंजली आर्य द्वारा हजारों लाखो वर्षो से मित्रता की मिसाल दी जाने वाली कृष्ण सुदामा के वृतांत के बारे में भी बताते हुए कहा कि सुदामा जो कि निर्धन थे और अपनी गरीबी से जुझ रहे थे उन्होने अपनी पत्नि सुशीला के कहने पर अपने बचपन के मित्र कृष्ण के यहां द्वारका पहुंचे और वहां किस प्रकार से किसी के द्वारा विश्वास नही किया गया वही एक द्वारपाल द्वारा श्रीकृष्ण जी बताते हुए किस प्रकार से श्री कृष्ण जी सब कुछ छोडकर अपने मित्र सुदामा के पास आकर उसे गले लगा कर वह अपने आसुओं से उनके चरण धोने का काम किया और मित्र के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचे बिना बताए अपने मित्र की परेशानी को समझते हुए उसे धन धान महलो से संपन्न कर दिया। यह एक सच्चे मित्रता का अनुठा उदाहरण है । के बारे में बताया वही दीदी अंजली आर्य द्वारा कहा गया कि कृष्णजी की केवल एक ही पत्नि थी रूकमणी माता का सबसे ज्यादा तपस्या व योगदान रहा है। एक पत्नि के रूप में हमे हमेशा श्रीकृष्णजी के साथ रूकमणी जी का नाम जोडते हुए इसके बारे में जागरूक होना चाहिए। तीसरे दिन की कथा समापन के बाद महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। इस अवसर पर बडी संख्या में बड़ौद नगर एवं आसपास ग्रामीण क्षैत्र के व दुसरे क्षैत्र के भी श्रद्वालुओ के द्वारा वेद कथा श्रवण की जा रही है।