एक तरफ स्कूल – कॉलेज खोलने की तैयारी , वहीं तीसरी लहर की आशंका पड़ रही भारी
उज्जैन। प्रदेश में एक जुलाई से पहली से पांचवी तक ऑनलाइन और छठवीं से हायर सेकंडरी तक स्कूल खोलने की तैयारी चल रही है। कॉलेज भी खोले जा सकते हैं। अहम सवाल यही है कि एक तरफ तो स्कूल – कालेज खोलने की तैयारी चल रही है, और दूसरी तरफ कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका से माता-पिता मानसिक दबाव में हैं। क्या ऐसे हालात में माता- पिता अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे ? सवाल यह भी है कि स्कूल तो खुल जाएंगे , लेकिन तीसरी लहर की आशंका का खतरा कौन उठाएगा ? यह जिम्मेदारी कैसे तय होगी? स्कूल संचालक तो एक फार्म भरवा कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे, जिसमें लिखा होगा कि यदि बच्चा किसी भी वजह से संक्रमित होता है तो स्कूल प्रबंधन की कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी। पहली लहर खत्म होने के बाद जब स्कूल खोलने का विचार हुआ था तब भी कई स्कूलों ने पालकों को बुलवा बुलवाकर हस्ताक्षर करवाए थे। तब भी यही समस्या सामने आई थी। फिलहाल ऐसे फार्मूले पर विचार चल रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी हो सके और उन्हें संक्रमण से बचाया भी जा सके। इसके लिए कोरोना कर्फ्यू के दौरान अपनाए गए फार्मूले को ज्यादा ठीक माना जा रहा है। जिले और तहसील तथा क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग कमेटियां बना दी जाए और वह तय करें कि उनके क्षेत्र में किस तरह से बच्चों के स्कूल खोले जाएं। यानी जहां संक्रमण ज्यादा है वहां स्कूल न खोले जाएं या फिर बच्चों की बहुत कम संख्या में अलग-अलग दिनों में बच्चों को पढ़ाया जाए और जहां संक्रमण नहीं है, वहां की स्थिति देखते हुए स्कूल खोल दिए जाएं। इससे एक बड़ा फायदा यह होगा कि जहां संक्रमण नहीं है वहां के बच्चों की पढ़ाई हो सकेगी। वैसे भी इंदौर में अब 1 फ़ीसदी से भी कम संक्रमण बचा है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए भी अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि केजी से हायर सेकंडरी तक प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों में डेढ़ करोड़ विद्यार्थी पढ़ते हैं।प्रदेश में पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं। सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। स्कूल शिक्षा विभाग का मानना है कि बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है इसलिए स्कूल खोलना जरूरी हो गया है, पर उनकी सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया जाना है। कक्षाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाए रखना बड़ी चुनौती है। सरकार को एक जुलाई से स्कूल खोलना है तो चार- पांच दिन में ही निर्णय लेना होगा। इस बीच कई तरह के सुझाव सामने आ रहे हैं। इन्हीं में से एक सुझाव यह है कि नौवीं से हायर सेकंडरी तक किसी कक्षा के किसी सेक्शन में 40 विद्यार्थी हैं, तो 20 बच्चे एक दिन स्कूल आएंगे और शेष 20 बच्चे अगले दिन। छठवीं से आठवीं तक बच्चों को हफ्ते में एक या दो दिन बुलाया जा सकता है। वह भी सीमित संख्या में। इसमें स्कूल की क्षमता का भी ध्यान रखा जाएगा। पहली से पांचवीं तक फिलहाल ऑनलाइन ही पढ़ाया जा सकता है। केजी और नर्सरी तक बच्चों को फिलहाल नहीं बुलाया जाएगा।