इंदौर में दो एसएमएस, दो ओटीपी बिना शेयर किए ही अकाउंट साफ

निजी कंपनी के कर्मचारी के साथ ठगी, एसएमएस पर आई लिंक को खोला था…

इंदौर। जूना रिसाला में रहने वाले एक निजी कंपनी के कर्मचारी के साथ ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है। किसी को बिना ओटीपी दिए खाते से दो बार करीब 62 हजार से ज्यादा का पेमेंट कट गया। जब तक कर्मचारी कुछ समझ पाता। तब तक पूरा अकाउंट साफ हो चुका था। इस मामले में सायबर पुलिस से शिकायत की गई।
टीआई राहुल शर्मा के मुताबिक घटना अकरम खान निवासी जूना रिसाला के साथ हुई। अकरम का एसबीआई बैंक में अंकाउट है। 11 फरवरी को उन्हें VM-TECDOC पर एसएमएस आया जिसमें एक लिंक भी दी। अकरम ने उस लिंक पर क्लिक कर दिया। जिसके बाद अचानक से एक ओटीपी जनरेट हुआ। अकरम के अंकाउट से पहले 25 हजार रुपये निकल गए। इसके बाद दूसरा ओटीपी आने के बाद 38 हजार का पेमेंट अकाउंट से उड़ गया।

ट्रोल फ्री नंबर से मदद मिलते हुए साफ हुआ अंकाउट

अकरम जब तक कुछ समझ पाते तब तक उनके अकाउंट से पूरा पेमेंट जा चुका था। उन्होंने बताया कि लिंक तो ठीक ओटीपी को भी उन्होंने किसी से शेयर नहीं किया था। उनके अकाउंट से पेमेंट कटने के बाद तुरंत टोल फ्री नंबर पर जानकारी देने की कोशिश की। लेकिन कस्टमर सेवा से बात होते-होते ठगी का पूरा पेमेंट अकाउंट से जा चुका था।
अकरम ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही ऑनलाइन एप डाउनलोड कर रुपए का ट्रांसफर करना शुरू किये थे। ठगी के चलते वह आमतौर पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से बचते थे।

इस तरह के मैसेज से बचें

सायबर पुलिस के मुताबिक फर्जी सरकारी योजनाओं, नौकरी की गारंटी, लकी ड्रा से संबंधित वॉट्सएप संदेश या एसएमएस भेज कर लोगों को गुमराह किया जाता है।

चूंकि, आमतौर पर लोग अब ओटीपी शेयर करने की बात से सावधान रहते हैं। लेकिन ठग मोबाइल को एनीडेस्क एप या अन्य माध्यम से आपरेट करके मोबाइल में आया ओटीपी भी ले लेते हैं। जिससे पेमेंट निकालने में आसानी होती है।
इसके साथ ही अकाउंट को आधार से लिंक करने ओर भारत सरकार के सर्वे जैसे SMS पर बनी हुई लिंक को भी क्लीक व स्कैन करने से बचना चाहिए। इसके लिये समय समय पर बैंक ओर भारत सरकार के साथ सायबर यूनिट एडवाईजारी भी जारी करती है।