इंदौर में हिंदुओं को लालच देकर ईसाई बनाने का 3 माह में चौथा मामला

कहां से हो रही फंडिंग..? पुलिस कर रही जांच

इंदौर। खुड़ैल क्षेत्र में धर्मांतरण के एक और षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने राहुल बरगुंडा नामक युवक को पकड़ा, जो स्वयं ईसाई बन चुका है। वह गरीब-अशिक्षित हिंदुओं को बरगला रहा था। ग्रामीण इलाकों में भीड़ एकत्र कर लोगों से कहा कि हिंदू धर्म में विश्वास रखा तो तड़प-तड़प कर मर जाओगे। यीशु की शरण में आ जाओ। यीशु ने आपके लिए स्वर्ग की सीढ़ी भेजी है। इसी बीच हिंदू संगठन के लोग पहुंच गए और राहुल को पकड़ लिया। 5 मार्च को भी इसी क्षेत्र से क्रिस नार्मन बेबर्ता को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) भगवंतसिंह विरदे के अनुसार घटना ग्राम कंपेल स्थित दशहरा मैदान की है। पुलिस ने ग्रामीण रोहित गोपाल कनोसिया की शिकायत पर मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है। इसके अनुसार राहुल पुत्र राजू बरगुंडा निवासी गोल सेलानी (खंडवा) कंपेल में रहने वाले संदीप के घर महिलाओं और बच्चों का ब्रेनवाश कर रहा था। उसके पास बाइबल पुस्तक थी।
राहुल ने महिलाओं से हिंदू धर्म के संबंध में अमर्यादित भाषा का उपयोग किया। हिंदू देवी-देवताओं का भी अपमान किया। बहुत सारी बीमारियां आने वाली हैं। यीशु का संदेश है कि सब हिंदू धर्म त्याग कर उनकी शरण में आ जाओ।
उसने प्रति परिवार को एक एक लाख रुपये नकद और बच्चों को मिशनरी स्कूल में निशुल्क पढ़ाई, मुफ्त इलाज का प्रलोभन दिया।
हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी और साधु संतों को अपमानजनक भाषा से संबोधित करने पर हिंदूवादी संगठन से जुड़े संदीप पटेल, जीवन पटेल, भरत शर्मा, चंद्रशेखर निमाणी आदि वहां पहुंचे और राहुल को पकड़ लिया।

तीन महीने में चौथी घटना

हिंदुओं को बरगला और लालच देकर धर्मांतरण का तीन महीने में चौथा मामला सामने आया है। पुलिस बाहरी फंडिंग की जांच कर रही है। सर्वप्रथम 24 जनवरी को क्षिप्रा पुलिस ने आरोपित पास्टर रे, उमली बाई, खेमराज, हाकिम, मंगली, मानसिंह और काली बाई को गिरफ्तार किया था।
आरोपी ग्राम हतूनिया में मतांतरण के लिए लोगों को उकसा रहे थे। इसके बाद विजय नगर थाना क्षेत्र में एक युवती ने मतांतरण के दबाव में आत्महत्या कर ली। दो घटनाओं की जांच पूर्ण हुई थी कि कंपेल में आरोपित क्रिस नार्मन बेबर्ता को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बेबर्ता के खातों की जांच की तो पता चला कि उसे पुणे से हर महीने 10 हजार रुपये मिल रहे थे।