संसाधन हीन नंबर 1 इंदौर और निर्णय हीन अफसर…
7200 करोड़ का बजट पेश करने वाली निगम के पास आपधा प्रबंधन के लिए बजट नही…
मुआवजा नहीं न्याय चाहिए @ChouhanShivraj जी शहर अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही और कितनी लाशों का बोझ उठाएगा..
इंदौर। इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन जो लगातार छह बार सफाई में शहर को नंबर 1 का खिताब दिलाकर 56 इंची छाती चौड़ी किए मुनादी कर अपने सलाना बजट में इजाफे के साथ 7200 करोड़ का बजट पेश कर अपनी पीठ थप थापा रही थी। उसकी कलाई कल हुए हृदय विदारक घटना पर खुल गई और पटेल नगर के मंदिर में हुए हादसे के बाद वह अकड़ एक तरफ धरी रह गई और सिर शर्म से झुक गया।
करीब 35-40 लोगों की मौत हो गई उक्त हादसे में जिसमे मासूम बच्चे और महिलाएं भी थी।
कारण इतने बड़े हादसे के घंटों बाद तक भी हमारा प्रशासन बचाव के संसाधन भी पूरी तरह से नहीं जुटा पाया। सूचना मिलने के बाद न के बराबर संसाधन के साथ बचाव के लिए पहुंची टीम को शुरुआत में सीढ़ी सहित अनेक संसाधन तो स्थानीय रहवासियों ने मुहैया करवाए, जिसके चलते करीब 18 घायल लोगों को तो निकाल लिया गया। संभवतः उक्त हादसे को शुरुआत में हमारे जिम्मेदार अधिकारियों ने शायद कमतर आंका। शायद इसीलिए बचाव कार्य की शुरुआत भी कुछ धीमी गति से चली। और नतीजतन सुबह 11 से 12 बजे के बीच हुए हादसे के बाद भी शाम छह-सात बजे तक 18 घायल और 14 शवों को ही निकाला जा सका। जबकि इस बीच अफसरों को यह अच्छी तरह से पता चल चुका था कि बावड़ी में करीब 50-60 या इससे अधिक लोग गिरे हैं, उनमें से घायल और मृतक मिलाकर शाम छह सात बजे तक सिर्फ 32 लोगों को ही निकाला जा सका था, वह भी अनेक कठिनाई के साथ।
कठिनाई महसूस होने के बावजूद भी अफसर हादसे के घंटों बाद तक भी अपने स्तर पर ही बचाव कार्य जारी रखें रहे। और जब लगने लगा कि अब स्थिति हाथ से निकल रही है तब जाकर सेना को बुलाने का निर्णय लिया गया। अगर शुरुआत में ही स्थिति की गंभीरता का आकलन कर बगैर देर किए मात्र 22-25 किमी दूरी पर मौजूद सेना को मदद के लिए बुला लिया जाता तो संभव था कि कुछ और जानों को बचाया जा सकता था, किंतु नतीजा यह रहा कि जीवित तो छोड़िए साहब, घटना के लगभग 15 घंटे गुजर जाने के बाद देर रात करीब साढ़े तीन-चार बजे तक मृत शरीरों को भी नहीं निकाला जा सका था।
क्या महापौर और निगम कमिश्नर को इस हादसे की नैतिक जवाबदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा नही देना चाहिए जिसमे इंदौर नगर निगम की लापरवाही जग जाहिर हो रही है ?
अपने प्रिय परिजनों को खो चुके लोगो को इंसाफ दीजिए…शिवराज जी
ह्रदय विदारक घटना पर सच्ची संवेदनाएं व्यक्त कीजिए शिवराज जी अब तो ईमानदारी से मुख्यमंत्री होने का दायित्व निभाइए मुआवजे और मैजेस्ट्रियल जांच के राजनितिक मरहम की जगह दोषियों पर सक्त कार्यवाही कीजिए। भ्रष्ट अधिकारियों और अतिक्रमणकारियो का संग्रक्षण देने वाले नेताओ पर भी मुकदमा दर्ज कीजिए। संवेदना व्यक्त करनी है तो मृतकों के घर जाएं। संवेदना की जरूरत उन्हें है। उन्हें भी दिखावटी संवेदनाएं नही चाहिए। वे पहले ही खून के आंसू रो रहे हैं। उन्हे मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए।
दोषियों के इस कृत्य का ईश्वर साक्षी है !