सांसद शंकर लालवानी बोले मैं बेकसूर हू

इंदौर । बावड़ी हादसे में 36 निर्दोषों की मौत के बाद से आरोपों की लपटों में झुलस रहे सांसद शंकर लालवानी ने कहा है- न मेरा सेवाराम गलानी को संरक्षण है और न ही मैं मंच, माला, माइक के चक्कर में समाजजन के दु:ख की अनदेखी करके भोपाल गया। मैं बेकसूर हूं, मुझे अफसोस यह भी है कि मुझसे किसी ने सच जानने की कोशिश ही नहीं की। मीडिया ने भी खोजबीन नहीं की। सांसद शंकर लालवानी ने जब बावड़ी हादसे और उन पर लग रहे आरोपों पर बिंदुवार चर्चा की तो उनका दर्द छलक पड़ा।
बावड़ी हादसे के बाद गैर इरादतन हत्या की धाराओं में उलझे पूर्व पार्षद-भाजपा नेता सेवाराम गलानी को संरक्षण पर सांसद का कहना था- यह ठीक है कि वह भाजपा से जुड़ा है, लेकिन मेरा संरक्षण है… यह कहना गलत है। 30 साल पहले जब गलानी पार्षद थे, तब तो मैं राजनीति में था ही नहीं। उस दौर में कैलाशजी और भंवरसिंह शेखावत जैसे नेताओं का दबदबा था। आरोप लगाने वाले उसके साथ मेरा एक फोटो ही बता दें, मैंने पुलिस-प्रशासन को अतिक्रमण हटाने से भी नहीं रोका। मेरे विरोधी संवेदनशील मुद्दे पर रोटियां सेंक रहे हैं। आरोप लगाने वालों ने तो सीताजी, मोदीजी तक को नहीं छोड़ा… तो मैं क्या हूं!
भोपाल में अमर शहीद हेमू कालानी के शताब्दी वर्ष का राष्ट्रीय समारोह पहले से तय था। जाना तो इंदौर से भी हजारों समाजजन को था, लेकिन इस दु:खद हादसे के चलते समाज ने शामिल नहीं होने का फैसला करने के साथ ही यह तय किया था कि सिर्फ दस प्रतिनिधि जाएं। दस लोगों में सांसद की हैसियत से मैं और अन्य सदस्यों में समाज के प्रदेश अध्यक्ष गुलाब ठाकुर, ईश्वर झामनानी, रमेश गोधनानी, मनोहर देव आदि शामिल हुए थे। उस समारोह में शहीद हेमू कालानी के परिवार का सम्मान किया गया, आरएसएस चीफ मोहन भागवत, मुख्यमंत्री चौहान ने पहले बावड़ी हादसे के मृतकों को श्रद्धांजलि दी। मुझे मंच पर आमंत्रित किया गया था, इसलिए वहां बैठा।
बावड़ी हादसे के वक्त चलाए गए रेस्क्यू आॅपरेशन के दौरान रात 1.30 बजे तक तो मैं घटनास्थल पर था। अगले दिन जब सीएम आए तब भी उनके साथ था। यह कहना सही नहीं कि धर्मशाला में सीएम को सिर्फ पटेल समाज के सदस्यों से मिलवाया, सिंधी समाज में नहीं ले गए। धर्मशाला में सिंधी समाज के सदस्य भी शामिल थे।
सीएम जब इंदौर में घटनास्थल के अवलोकन, अधिकारियों से जानकारी लेने के बाद भोपाल रवाना हुए तो चार्टर्ड प्लेन में साथ लेकर गए थे। आप बताइए… मैं कहां दोषी हूं? मैं इतना लापरवाह भी नहीं कि दु:ख के दरिया में डूबे पीड़ित परिवारों-समाज को छोड़कर राजनीति चमकाने भोपाल चला जाऊं? आरोपों की असलियत पता किए बिना मीडिया मुझे कसूरवार ठहरा रहा है… मैं बेकसूर हूं। मैं बताना नहीं चाहता, लेकिन तब आपने ही लिखा था कैंसर फैलने के कारण मेरी पत्नी जब अस्पताल में अंतिम सांसें गिन रही थीं, उस वक्त भी मैं पत्नी के पास रहने से अधिक कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए सक्रिय था। आप कैसे कह सकते हैं कि मैं समाजजन को अकेला छोड़कर भोपाल चले गया, सेवाराम गलानी को मेरा संरक्षण है? भाजपा के असंख्य कार्यकर्ताओं से मैं जुड़ा हूं, लेकिन कोई कुछ गलत करे तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे मेरा संरक्षण है।