आईपीएस खाकी के सामने उल्टा पड़ गया मंत्री का दांव
उज्जैन से गए एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने खंडवा में बंगले पर जाकर सलाम नहीं ठोका तो मंत्री ने खड़ा कर दिया तमाशा
खंडवा में मंत्री पुत्र से विवाद के पीछे की आधी कहानी- आधा फसाना
इंदौर। संभाग के खंडवा में एक कार्यक्रम के दौरान वन मंत्री विजय शाह के बेटे और जिला पंचायत उपाध्यक्ष दिव्यादित्य शाह के साथ पुलिस ने कथित अभद्रता की, तो लगा कि एक-दो दिन में एसपी का ट्रांसफर हो जाएगा। संभावना इसलिए भी ज्यादा थी, क्योंकि मंत्री ने खुलेआम कहा था कि एसपी यहां ज्यादा दिन रह नहीं पाएंगे, लेकिन ऐसा अब तक तो नहीं हुआ, जबकि मंत्री के बेटे ने युवा मोर्चा के साथ एसपी ऑफिस का घेराव कर अपनी ताकत भी दिखाई। गौरतलब है कि उज्जैन से ट्रांसफर होकर खंडवा में पदभार ग्रहण किए 2 दिन ही हुए थे कि एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल को इस असहज राजनीति का शिकार होना पड़ा। वन मंत्री तथा उनके जिला पंचायत उपाध्यक्ष पुत्र के तमाम तरीके अपनाए जाने के बावजूद सत्ता और संगठन दोनों एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल के पक्ष में दिखाई दिए।
दरअसल, इस घटना के पीछे की कहानी कुछ अलग ही बयां हो रही है। बताया जा रहा है कि एसपी सतेंद्र शुक्ल ने 26 मार्च को खंडवा एसपी का चार्ज लिया था, लेकिन वे प्रोटोकॉल के तहत मंत्री से मिलने नहीं जा सके या यों कहें कि मिलने ही नहीं गए। मंत्री ने इसे अपनी तौहीन समझी। इसके बाद हुए एपीसोड को एसपी से बदला लेने के तौर पर देखा जा रहा है।
सवाल ये है कि मुख्यमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना योजना के कार्यक्रम में बवाल होने पर भी सरकार एक्शन में क्यों नहीं आई? जवाब यह है कि कार्यक्रम में मंच पर बैठने वालों की सूची में मंत्री पुत्र का नाम नहीं था, तो वे क्यों जबरदस्ती मंच पर चढ़ने का प्रयास कर रहे थे? इस पर संगठन का सीधा सवाल था- सूची में नाम नहीं था तो तमाशा क्यों किया? पता तो ये भी चला है कि मंत्री पुत्र युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को लेकर सड़क पर उतरे तो भोपाल से जिला अध्यक्ष के पास फोन गया और पूछा किसके निर्देश पर सड़क पर उतरे? फिर क्या था, थोड़ी देर बाद ही सड़क पर मंत्री पुत्र और उनके कुछ समर्थक ही रह गए। जो भी हो राजघराने से संबंध रखने वाले वन मंत्री की जड़ी बूटी ( रौब ) आईपीएस खाकी पर नाकाम रही।