मजदूरों को सताने लगा आचार संहिता लागू होने का डर, जल्द राहत नहीं मिली तो बढ़ेगा इंतजार

हुकमचंद मिल मामला, निगम के प्रस्ताव पर शासन से अब तक स्वीकृति नहीं मिली है, प्रदेश में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव भी
नगर प्रतिनिधि  इंदौर
अपने हक के लिए पिछले तीन दशकों से अधिक समय से न्यायालयों के चक्कर काट रहे हुकमचंद मिल के मजदूरों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। नगर निगम ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि उसके पास मिल के मजदूरों के भुगतान के लिए योजना तैयार है। शासन से स्वीकृति मिलते ही वह इसे कोर्ट में प्रस्तुत कर देगा। इसके बाद मजदूरों को उम्मीद थी कि उन्हें जल्द ही बकाया भुगतान मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
निगम के प्रस्ताव पर शासन से अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। प्रदेश में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव भी होना हैं। ऐसे में मजदूरों में आशंका है कि शासन से प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने से पहले ही अगर चुनाव आचार संहिता लागू हो गई तो न्याय के लिए उनका इंतजार और लंबा हो जाएगा। मामले में अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होना है।
गौरतलब है कि हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर 31 वर्ष से अधिक समय से अपने हक के लिए भटक रहे हैं। इन मजदूरों में से करीब ढाई हजार की मृत्यु हो चुकी है। वर्षों पहले हाई कोर्ट ने मिल के मजदूरों को मिल की जमीन बेचकर भुगतान करने का आदेश दिया था लेकिन दिक्कत यह है कि मिल की जमीन बिक ही नहीं सकी। जमीन बिक सके इसके लिए जमीन का लैंड यूज भी बदल दिया गया।
इस बीच नगर निगम ने कोर्ट में कहा कि वह मजदूरों को बकाया भुगतान करना चाहता है। इस पर कोर्ट ने निगम से कहा था कि वह बताए कि उसके पास 5895 मजदूरों को भुगतान के लिए क्या योजना है। कोर्ट के आदेश पर मिल की जमीन का मूल्यांकन भी हुआ है। दो मूल्यांकनकतार्ओं द्वारा अलग-अलग कीमत आंकी गई है। मजदूरों को इस संबंध में हाई कोर्ट में अपना पक्ष भी रखना है।