श्रीकृष्ण सुदामा की कथा सुनकर भाव विभोर हुए भक्तगण
सुसनेर। समीप के ग्राम पायली में 7 अप्रेल से शिव मंदिर में श्रीमदभागवत कथा का आयोजन श्रीमद भागवत कथा के अन्तिम दिन गुरूवार को शोभायात्रा एवं हवन- पूजन के साथ समापन हो गया है। श्रीमद भागवत कथा के अन्तिम दिन ग्राम पायली निवासी कथावाचक सुश्री वैष्णवी अनुराधा जी शर्मा जयश्री जी ने सुदाम चरित्र की कथा का वर्णन किया गया। इसमें भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती ने दुनिया को यह संदेश दिया कि राजा हो या रंक दोस्ती में सब बराबर होते हैं। मित्रता में जाति धर्म ऊंच-नीच गरीबी अमीरी नहीं होते मित्रता में छल कपट भी नहीं होता मित्रता की बस हर स्टेशन पर रूकती हैं। इस बात का स्वयं भगवान कृष्णा ने सुदामा से दोस्ती कर सबको दिखाया हैं। उन्होने कहा कि कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहा है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौडे दौडे चले आए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। अनुराधा जी शर्मा ने कहा कि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। कथावाचक ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल शब्दों में वर्णन किया कि उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए।। समापन पर कथावाचक अनुराधा जी शर्मा ने विधि विधान से हवन कराया। हवन शांति के बाद पूणार्हूति का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया। गाजे- बाजे के साथ श्रीमदभागवत कथा की विदाई के अवसर पर ग्राम में शोभायात्रा भी निकाली गई। जिसमें बडी संख्या में ग्रामीणजन शामील हुवें।