कर्मचारियों की लगातार हड़ताल, छात्र-छात्राओं के भविष्य में अंधकार
कॉलेजों में एडमिशन का दौर, ऐसे वक्त डिग्री, माइग्रेशन, मार्कशीट, डुप्लीकेट मार्कशीट सहित सारे काम अटके
इंदौर। सर ,प्लीज मुझे पीजी में एडमिशन लेना है। इसके लिए यूजी फाइनल की डुप्लीकेट मार्कशीट बना दीजिए। आवेदन भी कर दिया है। कब तक इंतजार करना होगा? यूनिवर्सिटी के नालंदा परिसर पहुंची एक छात्रा ने जब एक अफसर से यह बात कही तो उनका जवाब था कि कई दिनों से कर्मचारी हड़ताल पर हैं। फिलहाल कुछ भी संभव नहीं है। आखिर निराश छात्रा को वापस लौटना पड़ा। सिर्फ यह छात्रा ही नहीं हर दिन डिग्री, माइग्रेशन, मार्कशीट, डुप्लीकेट मार्कशीट सहित अलग-अलग कार्यों के लिए आने वाले हर दिन 300 से ज्यादा छात्रों को परेशान होकर लौटना पड़ रहा है।
उनका कोई काम नहीं हो रहा है। चूंकि कॉलेजों में एडमिशन का दौर शुरू हो चुका है, इसलिए यहां आने वाले छात्रों की संख्या जून में औसत हर दिन 600 से 700 तक भी पहुंच जाएगी। ऐसे में अगर हड़ताल जल्द खत्म नहीं हुई तो छात्रों की परेशानी बढ़ जाएगी। पिछले कई दिनों से चल रही इस हड़ताल के कारण न केवल यूनिवर्सिटी काे यूजी फर्स्ट ईयर की बची हुई परीक्षाएं स्थगित करना पड़ी बल्कि 5 जून से प्रारंभ हाेने वाली बीबीए-बीसीए छठे सेमेस्टर की परीक्षाओं पर भी संकट मंडरा रहा है।
चिंता इस बात की है कि आगे कर्मचारी दो जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। ऐसे में नए एडमिशन लेने वाले छात्रों की परेशानी बढ़ जाएगी। कॉलेजों में पीजी में एडमिशन के लिए 13 जून तक रजिस्ट्रेशन होना है। ऐसे में छात्रों को फाइनल ईयर की मूल मार्कशीट, डुप्लीकेट मार्कशीट, माइग्रेशन, डिग्री, रिव्यू-रिवेल्यूएशन रिजल्ट से लेकर कई जरूरी दस्तावेजों की जरूरत पड़ रही है। हड़ताल अगर 5 जून तक भी चली तो छात्रों के यह काम नहीं हो पाएंगे, क्योंकि हर काम में कम से कम 7 से 14 दिन लगते हैं। ऐसे में छात्रों की परेशानी लगातार बढ़ना है।
सुबह से शाम चार बजे तक सभी काम ठप
यूनिवर्सिटी के पांच सौ से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर हैं। सुबह से शाम 4 बजे तक काम ठप किया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब सामान्य दिनों से पांच से छह गुना ज्यादा आवेदन आ रहे हैं।
इधर, कर्मचारी संघ के नेता चैनसिंह यादव, महेंद्र श्रीवास्तव, संतोष रघुवंशी और रमेश कुशवाह सहित तमाम कर्मचारियों ने संबोधित कर कहा कि यह लड़ाई वेतनमान, नियमितीकरण व तमाम तरह के अधिकारों से जुड़ी है। इसलिए लगातार संघर्ष जारी रहेगा।