इंदौर में अब शौक से कहीं आगे जाकर जुनून बन गई है साइकिल
इंदौर। साइकिल अब इंदौर की सेहत की साथी बनने लगी है। प्रतिदिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त से लेकर आठ या नौ बजने तक शहर की सड़कों पर साइकिल चलाते लोग दिख जाते हैं। इनमें से अधिकांश लोग अच्छी सेहत के लिए साइकिल दौड़ाते हैं तो कुछ लोग अपने शौक के लिए। इंदौर में साइकिल का क्रेज अब इतना अधिक है कि कई लोग तो फ्रांस द्वारा वैश्विक स्तर पर आयोजित आनलाइन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे हैं। वे रोज कितने किमी साइकिल चलाई, कौन-से रूट पर गए और कितनी कैलोरी खर्च की, इसका पूरा ब्यौरा आनलाइन एप पर फ्रांस भेजते हैं। आइए, आज विश्व साइकिल दिवस पर जानते हैं कि आखिर इंदौर में बीते कुछ वर्षों में साइकिलिंग के प्रति क्रेज कितना बढ़ गया है। 90 के दशक में साइकिल हर किसी का सपना हुआ करती थी। धीरे-धीरे बाइक और कारों ने साइकिल का स्थान हासिल कर लिया और साइकिल सिर्फ मेहनतकश लोगों की सवारी रह गई। बाद में साइकिल को छात्र और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की सवारी माना जाने लगा। किंतु समय ने फिर करवट बदली और साइकिल अब फिर से अमीर, उच्च मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग और सेहत के प्रति जागरूक लोगों की सवारी बन गई है।
कोविड के बाद समझने लगे साइकिल का महत्व
कोरोना काल से साइकिल स्वास्थ्य को तंदुरुस्त बनाए रखने का माध्यम बन चुकी है। अब शहर की सड़कों पर अलसुबह कई लोग साइकिल लेकर निकलते हैं। हालांकि, कभी सामान्य सी दिखने वाली साइकिल भी अब अत्याधुनिक हो चुकी है। समृद्धों की पसंद बनने के बाद साइकिल के स्वरूप में भी बहुत बदलाव आया है। कोविड संक्रमण के दौरान लोगों का इम्युनिटी स्तर कम हुआ और फेफड़ों पर दबाव पड़ा। इसके बाद लोगों को साइकिल का महत्व समझ आने लगा। डाक्टरों की सलाह पर लोग सुबह-शाम साइकिल चलाने लगे और अपना स्टेमिना बढ़ाने लगे। धीरे-धीरे साइकिल के प्रति क्रेज अब इतना बढ़ गया है कि लोग पांच हजार से लेकर पांच लाख रुपये कीमत तक की साइकिल खरीद रहे हैं।
इंदौर में खुले कई साइकिल स्टोर
हालात कुछ ऐसे बदले हैं कि कभी बंद होने के कगार पर पहुंच चुके साइकिल स्टोर अब कई तरह की साइकिलों से भरे पड़े हैं। विगत कुछ वर्षों में तो शहर में कई नए साइकिल स्टोर खुल गए हैं। साइकिल व्यापारी महेश कालरा का कहना है कि इंदौर में प्रतिदिन 250 से ज्यादा साइकिल बिकती हैं। अब बच्चों के साथ ही पुरुष व महिलाएं भी साइकिल चला रहे हैं।