उज्जैन में अब याद आ रहा ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, मंजूरी के बाद ही नहीं हो पाया स्थापित

वेदर स्टेशन होता तो कुछ हद तक टाली जा सकती थी महाकाल लोक की तबाही

उज्जैन। यदि उज्जैन में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन होता तो आंधी-तूफान जैसी आपात स्थिति की पूर्व सूचना पहले ही मिल जाती। आपदा प्रबंधन को इसके लिए समय मिल सकता था। जिससे कुछ हद तक संभावित हादसों या दुर्घटनाओं को टाला जा सकता था। भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा औद्योगिक और टूरिस्ट क्षेत्र वाले शहरों में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाने की स्वीकृति दी गई थी। सबसे पहले देश भर में 400 शहरों को इसके लिए चयनित किया गया था , जिसमें उज्जैन का भी नाम शामिल था। इसी के तहत मौसम विभाग के भोपाल सेंटर की टीम गत 24 जनवरी 2022 को महाकाल परिसर में निरीक्षण करने के लिए भी आई थी। दो स्थानों का चयन भी किया गया था, लेकिन उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। रुद्रसागर और चार धाम परिसर के पश्चिमी हिस्से में से किसी एक स्थान पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाने का विचार हुआ था। यदि उस वक्त ही इस पर ध्यान दे दिया होता तो एक बड़े हादसे को टाला जा सकता था। पहले से सूचना मिल जाने पर महाकाल लोक और अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं की संख्या एकत्रित थी। उनको वहां से हटाया जा सकता था। यह तो अच्छा हुआ कि हादसे में सिर्फ मूर्तियां ही टूटी और कलश ही गिरा। वरना कोई बड़ी जनहानि भी हो सकती थी। नए प्रशासनिक अफसरों को भी इस वेदर स्टेशन की जानकारी नहीं है। अब वे भी टटोल रहे हैं कि ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन के लिए क्या किया जा सकता है।