पर्यावरण दिवस- इंदौर वन मंडल में तेजी से खत्म हो रही हरियाली, विकास के नाम पर भी कट रहे पेड़
इंदौर। पर्यावरण व्यवस्थित रखने के लिए हरियाली जरूरी है। इंदौर वन मंडल में एक ओर विकास के लिए हरियाली तेजी से खत्म हो रही तो जंगल तैयार होने में दशक बीत रहे हैं। सड़क, बिजली, रेल लाइन, आदि की वजह से पेड़ों को काटना पड़ा है। इन योजनाओं के बदले मिलने वाली जमीन इंदौर में खत्म हो गई, लेकिन धार, झाबुआ, आलीराजपुर तरफ बदले में जमीन मिल रही है। जंगल कितनी मुश्किल से तैयार हो रहे, इसका एक उदाहरण देखिए- आईआईटी के लिए सिमरोल में जंगल की जमीन ली गई थी। इसमें से 37 हेक्टेयर जमीन सीतापाट और 15 हेक्टेयर कमदपुरा में मिली थी। 12 साल पहले यानी 2011 में यहां पौधे लगाए गए थे। यह क्षेत्र अब जंगल की तरह नजर आने लगा है। घना वन होने में इसे अभी 10 से 12 साल और लग जाएंगे। डीएफओ नरेंद्र पंडवा के मुताबिक निश्चित रूप से अवैध कटाई, अतिक्रमण और सरकारी योजनाओं की वजह से वन आवरण कम हुआ है, लेकिन हम तेजी से भरपाई भी कर रहे हैं। क्षतिपूर्ति के रूप में मिली जमीन पर जंगल तैयार होने लगा है। अवैध कटाई को रोकने के लिए भी पेट्रोलिंग, ग्रामीणों की मदद ली जा रही है।
अतिक्रमण भी एक चुनौती
इंदौर, महू, मानपुर और चोरल रेंज में जंगलों की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा। तीन साल का सरकारी आंकड़ा 73.276 हेक्टेयर का है। जमीनी हकीकत 300 हेक्टेयर से कहीं अधिक है। सबसे ज्यादा जमीनों पर कब्जा महू, चोरल और रेंज में है। इसके बाद नंबर आता है मानपुर और इंदौर का। 19.847 हेक्टेयर जंगल में कब्जा हुआ है, वहीं 53.429 हेक्टेयर जमीन ऐसी है जो खाली थी, जिस पर पौधे लगाकर जंगल लगाया जा सकता है। इस पर भी अतिक्रमण हो चुका है।