गो पर्यावरण एव अध्यात्म चेतना गो पद यात्रा का स्वागत
रुनीजा। गो माता के शरीर मे तेतीस कोटि देवताओं का वास है। जिसने गो माता की पूजा करली उसने गो माता की पूजा कर ली । गाय , गो मूत्र , गोबर सुख स्मृद्धि के दाता है। कन्या दान के साथ साथ गो दान अवश्य करे। आप दहेज में अन्य विलासिता वस्तु नही मांगे पर गई माता अवश्य मांगे। गाय व बेल जिस घर परिवार में रहते इनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। पहले के जमाने में गाय और बैल हमारे घर आंगन और खेतों में रहते थे तो उससे सकारात्मक ऊर्जा मिलने के साथ ही सभी पापों का निवारण होता था। आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम सब श्रेष्ठ कार्यों को त्याग पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे हैं जिससे आने वाली पीढ़ी कार्य और पुण्य कर्मों से दूर भागते हुए आलस्य और विलासिता की ओर बढ़ रही है। आवश्यकता इस बात की है कि हम गोमूत्र को दूध के गोबर से होने वाले लाभ को अर्जित कर अपने जीवन को धन्य बनाएं और आने वाली पीढ़ी को सही दिशा दें।
उक्त सार: गर्भित उद्गार पूज्य साध्वी , तपस्वी , डॉ. सबला गोपाल सरस्वती ने ग्राम सुन्दराबाद व रुनिजा में आयोजित गो कथा व धर्म सभा मे कही। पूज्य साध्वी जी ने गो यात्रा का उद्देश्य बताते हुए कहा की यात्रा का समाज को अध्यात्म से जोड़ना , गो माता व पर्यावरण को बचाना यह 31 वर्षरिय गो यात्रा पूरे भारत मे जन जागरण का कार्य कर रही है।
सुबह यात्रा 9 बजे माधवपुरा पहुची यात्रा में आगे आगे रथ में सवार गो माता कामधेनु बिराज मान थी उक्त रथ को खिंचते हुए सुन्दराबाद से आये युवाओं रुनिजा माधव पूरा के युवाओं को सौपा। यहां से यात्रा प्रमुख मार्गों से होती हुई माधवपरा राम मंदिर पहुंची। नगर में विभिन्न समाजजनों ने यात्रा का स्वागत किया।