इंदौर में एनआरआई के घर पर महिला किराएदार का कब्जा, दिल्ली तक शिकायत
इंदौर। हमने कविता अर्जुन सिंह को किराए पर मकान दिया था। इतने सालों में उसने कभी रेग्युलर किराया नहीं दिया। हमेशा कहती रही कि दे दूंगी। किराए का एग्रीमेंट किराएदार कविता और मेरे बीच हुआ, क्योंकि मैं बेटे की तरफ से आम मुख्तियार हूं। बेटा अमेरिका में रहता है, एनआरआई है। उसी के नाम पर मकान है। अभी तक अलग-अलग जगह 7 आवेदन दे चुकी हूं।
कलेक्टर, कमिश्नर, एसडीएम सभी से मदद की गुहार लगाई। सालभर से मैं परेशान हो रही हूं लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। अधिकारी कहते हैं कि हम आपका मकान खाली नहीं करवा सकते, ये हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। आप कोर्ट जाइये। कलेक्टर साहब ने भी मेरे पति को कहा कि आप बैंक के रिटायर्ड मैनेजर हैं। आप कोर्ट जा सकते हैं तो फिर यहां क्यों आए।
ये दर्द है एनआरआई अंकित दुबे की मां 72 वर्षीय नीलमणि दुबे का। बेटा अमेरिका में है और बुजुर्ग माता-पिता (विजय और नीलमणि दुबे) इंदौर में रहते हैं। किराएदार ने मकान पर कब्जा कर लिया है। मदद के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा-लगा कर थक गए लेकिन कुछ नहीं हुआ।
एनआरआई अंकित मदद के लिए दिल्ली में इंडियन एंबेसी और फॉरेन अफेयर्स तक गुहार लगा चुके हैं। मां के लिए बेटे अंकित ने मकान खरीदा था ताकि इससे आने वाले किराए से मां को आर्थिक मदद हो सके मगर स्थिति ये है कि अपने मकान पर पजेशन लेने के लिए बुजुर्ग दंपती इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।
इधर किराएदार महिला का कहना है कि किराया बाकी होने की बात गलत है। मैं खुद अपना मकान ढूंढ़ रही हूं। मकान खाली कराने के लिए हमारे बीच समझौता भी हुआ था।
पुलिस-प्रशासन मेरा मकान खाली करवाए
पिता विजय दुबे ने बताया मेरे बेटे अंकित दुबे का मकान 55 एमराल्ड सिटी सांवेर रोड पर है। 2016 में हमने सुधीर लाड को किराए पर दिया था। सुधीर लाड लीव-इन में रह रहा था तो उसने अगले साल हुए एग्रीमेंट के दौरान कहा कि इस बार एग्रीमेंट कविता अर्जुन सिंह के नाम से कर दीजिए। ये बिजनेस करेगी तो इस आधार पर इसका पेन-कार्ड बन जाएगा।
इसके बाद मकान किराए का एग्रीमेंट कविता अर्जुन सिंह के नाम से हो गया। इसके बाद वो मकान में रहते रहे। साल 2020 में मैं बेटे के पास यूएस (अमेरिका) चला गया तो एक साल का किराया पेंडिंग हो गया। वहां से लौटने पर इसमें से कुछ किराया नकद और कुछ चेक के रूप में दिया। बैंक में चेक लगाए तो वो रिटर्न हो गए।
बाद में भी किराया नहीं दिया और आज तारीख तक 2 लाख 47 हजार रुपए मेंटेनेंस और किराया बकाया हो गया है। किराएदार कविता अर्जुन सिंह पर इतनी देनदारी बाकी है। किराएदार की हमने विभिन्न विभागों में शिकायत की है। 30 नवंबर 2022 को हमारा एग्रीमेंट खत्म हो गया था।