फर्जी अंकसूची से आरक्षक बने आरोपी की सजा बरकरार – कोर्ट

23 वर्ष पुराने मामले में सत्र न्यायालय ने निरस्त की अपील, आरोपी को 2015 में सुनाई थी 3 साल की सजा

इंदौर। 23 वर्ष पहले फर्जी अंकसूची से आरक्षक बने आरोपी को सजा भुगतना ही होगी। सत्र न्यायालय इंदौर ने उसकी आपराधिक अपील को निरस्त करते हुए सजा को यथावत रखा है।
जलगांव निवासी आरोपी अविनाश महाजन को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने 11 दिसंबर 2015 को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। उसने वर्ष 2000 में पिता की मृत्यु के बाद हाई स्कूल की नकली अंकसूची के आधार पर नव आरक्षक के रूप में अनुकंपा नियुक्ति पाई थी।

सेवा से किया था बर्खास्त

मामला सामने आने के बाद उसे सेवा से बर्खास्त करते हुए पुलिस में प्रकरण दर्ज किया गया। 15 साल सुनवाई के बाद वर्ष 2015 में आरोपी को सजा सुनाई गई थी। आरोपी ने इसके खिलाफ सत्र न्यायालय में आपराधिक अपील दायर कर दी। सत्र न्यायालय ने पूर्व में सुनाए एसीजेएम कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अपील निरस्त कर दी।

लोक परिवहन वाहनों से वसूला जुर्माना

इंदौर। परिवहन विभाग द्वारा चेकिंग अभियान चलाया गया। इसमें लोक परिवहन के साधनों की जांच कर कार्रवाई की गई। 75 से अधिक वाहनों की चेकिंग कर परिवहन विभाग ने 42,300 रुपये का जुर्माना वसूला। इस दौरान यात्रियों से ड्राइवर-कंडक्टर के व्यवहार की जानकारी भी ली गई।