वेतनमान लाभ न देने पर एनवीडीए को फटकार- कोर्ट ने पूछा- क्या तृतीय- चतुर्थ श्रेणी कर्मी अफसरों की दया पर जिंदा हैं?
एक भी क्लास वन और टू अफसर को वेतनमान के लिए हाई कोर्ट नहीं आना पड़ता
इंदौर। कर्मचारियों के वेतनमान से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए हाई काेर्ट ने एनवीडीए के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन मिश्रा, उप सचिव वर्षा सोलंकी और करीब 10 इंजीनियर्स काे फटकार लगाई। हाई काेर्ट के आदेश के बावजूद एनवीडीए के कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा था। इस पर उन्होंने अवमानना दायर की थी। कोर्ट ने कहा कि एक भी क्लास 1 और 2 अफसर को वेतनमान के लिए हाई कोर्ट नहीं आना पड़ता है।
थर्ड और फोर्थ क्लास कर्मचारियों को ही क्यों परेशान होना पड़ता है। क्या ये लोग आपकी दया पर जिंदा हैं। 2019 में कोर्ट ने वेतनमान दिए जाने के आदेश जारी किए थे, अब तक आपने पालन क्यों नहीं किया। एरियर के साथ ब्याज का भुगतान कैसे किया जाएगा। इसका जवाब भी अधिकारियों के पास भी नहीं था। कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या आपके वेतन से कटौती कर ब्याज की राशि चुकाई जाए। कोर्ट ने अवमानना पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस विवेक रुसिया की कोर्ट के समक्ष सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ता दीपक गंगराडे, ओमप्रकाश व अन्य की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव ने अवमानना दायर की है।
अफसरों ने ही बताया- प्रदेश में ऐसे तीन हजार कर्मचारी
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि दर्जनों कर्मचारियों ने अवमानना लगा रखी है। प्रदेश में ऐसे और कितने कर्मचारी हैं, जिन्हें वेतनमान का लाभ दिया जाना है। अधिकारियों ने जवाब दिया कि तीन हजार कर्मचारी हैं, जिन्हें लाभ दिया जाना है। दरअसल, सरकार के तमाम विभागों में बाबू के रूप में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी स्तर के कर्मचारी तैनात हैं। तमाम योजनाओं की फाइल यही चलाते हैं। वेतनमान, क्रमोन्नति, पदोन्नति के मामलों में सबसे ज्यादा यही लोग पीड़ित हैं। हाई कोर्ट में एमपी सर्विस रूल्स के तहत 70 फीसदी मामले सरकार के खिलाफ तृतीय और चतुर्थ श्रेणी स्तर के कर्मचारियों ने ही लगा रखा हैं। इन्हें ही छोटी-छोटी बातों के लिए कोर्ट जाना पड़ रहा है। इसमें भी सरकार सिंगल बेंच के आदेश का कभी पालन नहीं करती। जबरन अपील दायर करती है। हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट तक जाती है। शीर्ष अदालत सरकार को कई बार फटकार चुकी है।