मेडिकल कॉलेज की घोषणा को दो वर्ष बीते पर धरातल पर कुछ नहीं, उज्जैन के बाद घोषित हुए कॉलेज बनना शुरू

मेडिकल कॉलेज जनप्रतिनिधियों की उल­ान का हुआ शिकार

दैनिक अवन्तिका उज्जैन

दो साल से उज्जैन मेडिकल कॉलेज के नाम पर धरातल पर सब गुत्थमगुत्था चल रहा है। घोषणा होने के एक साल एक माह बाद कैबिनेट में 266 करोड़ की सैद्धातिक स्वीकृति उज्जैन एवं बुधनी के मेडिकल कॉलेज के नाम पर दी गई। एक लाख से कम आबादी वाले बुधनी में मेडिकल कालेज आकार लेने लगा है। उज्जैन में मेडिकल कालेज के नाम पर जमीन का निर्धारण ही नहीं हो पा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में घोषणा एवं बयानवीर जनप्रतिनिधियों को जनता से इलाज की अब दरकार बन गई है।

19 मई 2021 को उज्जैन के सर्किट हाउस पर मध्यप्रदेश के भावुक विकास प्रिय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सांसद अनिल फिरोजिया की उपस्थिति में उज्जैन में शासकीय मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा की थी। इस पर भोपाल के साथ ही दिल्ली तक कागजों का दौड़ना शुरू हुआ और साल भर बाद जाकर इसकी पूर्णता सामने आने पर एक बार फिर प्रदेश के मुखिया ने 28 जून 2022 को कैबिनेट के दौरान उज्जैन एवं बुधनी के मेडिकल कॉलेज के लिए 266 करोड की सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी। नगर निगम चुनाव में उज्जैन आए मुखिया ने आमजन को भी कहा, खाली हाथ नहीं आया हूं मेडिकल कॉलेज साथ लाया हूं। आमजन ने उन्हें भी खाली हाथ नहीं भेजा, महापौर एवं 38 पार्षद उन्हें दिए। साल भर बीत गया लेकिन उज्जैन मेडिकल कॉलेज धरातल से गायब है। प्रशासन ने यहां के जनप्रतिनिधियों को जमीनें दिखाई लेकिन सब के अपने-अपने गणित जारी हैं शुरू से ही मेडिकल कॉलेज को लेकर श्रेय की राजनीति इतनी भारी रही है कि समझ नहीं आ रहा है कि यहां बनने वाले कॉलेज में डॉक्टरी पढ़ाई जाएगी कि श्रेय की राजनीति। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने कैबिनेट में प्रदेश में छ: नए मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति दी है। इनमें खरगौन, धार, भिंड, बालाघाट, टीकमगढ़, सीधी जिलों में कॉलेज खोलने की तैयारी सरकार कर रही है।

घोषणा पर काम शुरू
दो साल पूर्व घोषित मेडिकल कॉलेज को लेकर अब तक उज्जैन में धरातल पर कोई गड्ढे तक नहीं हैं। इसे उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के लिए यह शर्मनाक बात ही कहा जाएगा कि यहां के लिए घोषित मेडिकल कॉलेज को दो साल से अधिक का समय पूर्ण हो गया है। इसके बाद के घोषित मंदसौर, नीमच, राजगढ़, सिंगरौली, श्योपुर, मंडला और तो और बुधनी में भी फरवरी में वर्क आर्डर हो कर वहां शिलान्यास करते हुए काम शुरू हो चुका है। मात्र उज्जैन में मेडिकल कालेज जनप्रतिनिधियों की उलझन का शिकार हुआ पड़ा है।

 

कहां बने मेडिकल कॉलेज दो साल में तय न हो सका
उज्जैन के लिए मेडिकल कॉलेज की घोषणा हुए पूरे दो साल से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है। जमीन को लेकर शुरूआत प्रशासन ने नरेश जिनिंग फैक्ट्री की जमीन से यह कहते हुए की थी कि मेडिकल कॉलेज के लिए यह जमीन उपयुक्त रहेगी। इसके बाद तो हर बार ‘बंदरों के बीच रोटी का बंटवारा बिल्ली के करने की कहानी’ चरितार्थ हो रही है। कभी हरीफाटक के पास तो कभी शासकीय इंजीनियरिंग कालेज की जमीन पर मेडिकल कॉलेज खोलने की बात जनप्रतिनिधि दमदारी से करते हैं पर भूमि पूजन का साहस नहीं जुटा पा रहे मात्र शब्दों से ही काम चला रहे हैं।

 

इंजीनियरिंग कॉलेज को ही जरूरत है खाली जमीन की
मेडिकल कॉलेज की जमीन को लेकर कुछ माह पूर्व उज्जैन दक्षिण विधायक एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि मेडिकल कालेज के लिए शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के पास जो अतिरिक्त जमीन है वहां इसे बनाया जाएगा। मई के अंतिम सप्ताह में मंत्री ने यह बात कही। इसके ठीक बाद तकनीकी शिक्षा एवं शासकीय इंजीनियरिंग महाविघालय की तरफ से यह बात सामने आ गई की उन्हें खूद ही खाली पड़ी जमीन की जरूरत है हम यह जमीन कैसे और क्यों देंगे।

 

एक सांसद, 8 विधायक
उज्जैन संभागीय मुख्यालय होने के साथ ही पूर्व से ही आसपास के जिलों के लिए मुख्य रहा है। शाजापुर, आगर जिला तो चिकित्सा के लिए सीधे उज्जैन की ओर ही मुंह देखता है। इसी मान से उज्जैन जिला चिकित्सालय में भी बेड की व्यवस्था है। हाल ही के वर्षों में रतलाम में मेडिकल कॉलेज शुरू होने से नीमच एवं मंदसौर जिलों को वहां की मदद मिलना शुरू हो गई। उज्जैन संसदीय क्षेत्र में रतलाम जिला का आलोट भी शामिल है। इस तरह से उज्जैन में 8 विधानसभा क्षेत्र का हस्तक्षेप है। एक सांसद एवं 8 विधायकों के होने के बावजूद उज्जैन में स्वीकृत मेडिकल की आधारशीला रखने में ही दो वर्ष से अधिक का समय लगना अपने आप में ही जनप्रतिनिधियों पर सवाल खड़े कर रहा है।

 

आरटीआई में मिला यह जवाब
उज्जैन में मेडिकल कॉलेज को लेकर एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सरकार से आवेदन कर पूछा तो उसे जवाब दिया गया कॉलेज स्वीकृत है। कैबिनेट बैठक में 266 करोड़ रूपए की स्वीकृति है।