एक पते पर दो कारोबार गलत नहीं, लेकिन स्टॉक व बहीखाते अलग-अलग जरूरी
इंदौर। जीएसटी पर एक सेमिनार ‘समस्या है तो समाधान है’ आयोजित किया गया। इसमें एक्सपर्ट ने कहा कि एक पते पर दो कारोबार होना गलत नहीं, लेकिन स्टॉक और बहीखाते अलग-अलग अलग-अलग मेंटेन रखें, जरूरत पड़ने पर व्यवसायी को साबित भी करना होगा की यह अलग-अलग व्यवसाय हैं।
मुख्य वक्ता सीए सुनील जैन ने कहा कि अगर किसी करदाता द्वारा डीआरसी-1 के तहत स्वेच्छा से कर का भुगतान किया जाता है तो इसका तात्पर्य यह नहीं निकाला जा सकता कि उसका रिफंड नहीं हो सकता है। करदाता रिफंड का आवेदन कर सकता है। एमपीटीएलबी अध्यक्ष एडवोकेट अश्विन लखोटिया, सीटीपीए अध्यक्ष केदार हेडा कि 6 साल बाद भी जीएसटी पोर्टल व कानून में कई खामियां हैं। सरकार को सलाहकारों से मंत्रणा करके उसमें जरूरी बदलाव करने चाहिए।
ई-इनवॉइस के लिए सरकार लर्निंग कार्यक्रम आयोजित करे
सीए जैन ने आगाह किया कि आगामी 1 अगस्त से ऐसे करदाता जिसका वर्ष 17-18 या उसके बाद के किसी भी वर्ष में टर्नओवर 5 करोड़ से अधिक होने पर, ई इनवॉइस जारी करने की आवश्यकता आ जाएगी, ऐसे में सरकार का दायित्व है कि ऐसे छोटे करदाताओं की जागरूकता के लिए देशव्यापी लर्निंग कार्यक्रम चलाया जाए, क्योंकि कानूनी रूप से जिस करदाता पर ई-इनवॉइस बनाने की आवश्यकता आ जाती है लेकिन वह ई ईनवॉइस नहीं बनाता।
टैक्स-फ्री माल बेच रहें हैं तो टैक्स क्रेडिट न लें, उसे लौटा दें वरना पड़ सकता है भारी- कई करदाता कर योग्य और कर मुक्त दोनों तरह की सप्लाई में लिप्त हैं परंतु वह संपूर्ण आईटीसी का उपयोग कर रहे हैं। उन्हें स्वयं कर मुक्त सप्लाई के संबंध में रूल 42 और 43 के तहत गणना करके आनुपातिक आईटीसी का रिवर्सल कर लेनाआरंभ चाहिए, विभाग द्वारा इस तरह की त्रुटि पाए जाने पर ना सिर्फ टैक्स का भुगतान, बल्कि ब्याज और जुर्माने का भी भुगतान करना पड़ेगा।