जैन समाज ने दिया इंदौर सेंट्रल जेल में गोशाला खोलने का प्रस्ताव

संत कमलेश ने कहा पांच पकवान मिले फिर भी बुरी संगति में नहीं जाना
दैनिक अवन्तिका  इंदौर
एक छेद नाव को ले डूबती है, वैसे ही एक बुरी संगत सद्गुणों का नाश कर शरीर को रोगी, चरित्र की हत्या कर देती है। पांच पकवान खाने को मिले तो भी बुरी संगति में नहीं जाना और रुखा सुखा मिले भूखा रहना पड़े तो भी अच्छी संगति में ही रहना। जीवन के सही अर्थ को समझना आवश्यक है।
यह बात जैन संत कमलमुनि कमलेश ने इंदौर सेंट्रल कारागृह (सेंट्रल जेल) में कैदियों के बीच कही। उन्होंने कहा कि बुरी संगति का असर इंसान तो क्या पशु पेड़ पौधे और संपूर्ण सृष्टि पर पड़ता है। उसका असर जन्म जन्मांतर तक रहता है। जन्म से कोई डाकू अथवा संत नहीं होता। मनुष्य के जीवन मे गलत संगति में पड़ जाता है वह आगे उसी संगति में रंगता चला जाता है। दुनिया साक्षी है कि अच्छी संगति ने महापुरुषों का निर्माण किया है। वह महापुरुष किसी तीर्थ से कम नहीं है।
बुराई तो घुसपैठिए की भांति अंदर में प्रवेश कर जाती है। उसके लिए प्रयास नहीं करना पड़ता है, लेकिन अच्छाइयों के लिए मेहनत करनी पड़ती है अपने आप से लड़ना पड़ता है। बुराइयां अपनाने वाला अपना तो नुकसान करता ही है। साथ ही पूरे परिवार को गर्त में डूबा देता है। वह माता-पिता संतान के शत्रु है जो उनके सामने बुराइयों का सेवन करते हैं और अपने स्वार्थ के लिए बुराइयों में जाने से रोकते नहीं।
जेल प्रशासन को अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली की और से प्रस्ताव दिया कि अगर जेल प्रशासन स्थान उपलब्ध कराए तो जेल में गोशाला खोलने हेतु हम तैयार है। सेंट्रल जेल के जेलर संतोष लाडिया ने स्वागत उध्बोधन दिया एवं अधीक्षक अलका सोनकर ने स्वागत किया। अध्यक्षता दिलीप राजपाल पूर्व मंत्री ने की। इस अवसर पर अशोक मेहता, रमेश भंडारी, प्रकाश भटेवरा, अशोक बड़जात्या ने इस अवसर पर उधबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन राहुल निहोरे ने किया।