दिव्यांगता को पीछे छोड़ इंदौर के लोहिया लंदन में लहराएंगे तिरंगा
सत्येंद्र लंदन से फ्रांस और फिर फ्रांस से लंदन तक की दूरी समुद्र में तैरकर पार करेंगे।
इंदौर। मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ै गिरिवर गहन… उक्त छंद हमने कई बार सुना है, लेकिन इसे इंदौर के दिव्यांग तैराक सत्येंद्र सिंह लोहिया अपनी मेहनत और आत्मबल से चरितार्थ कर रहे हैं। सत्येंद्र लंदन से फ्रांस और फिर फ्रांस से लंदन तक की दूरी समुद्र में तैरकर पार करेंगे। यह दूरी कुल 72 किमी की होगी। इस दौरान उनके साथ देश के नौ अन्य दिव्यांग तैराकों की टीम भी होगी। विश्व में पहली बार सभी दिव्यांग तैराकों का दल इतनी लंबी दूरी तैरकर पार करेंगे। सत्येंद्र इस टीम की अगुआई करेंगे।
विश्व में पहली बार सभी दिव्यांग सबसे लंबी दूरी तैरकर करेगा पार
सत्येंद्र ने बताया कि हमारी रिले मैराथन टीम लंदन से फ्रांस (डोबर शहर) तक और फिर वहां से लौटकर लंदन तक तैराकी करेगी। हम आठ जुलाई को लंदन पहुंचेंगे। वहां इस समय पानी का तापमान 10 डिग्री होता है, जिससे अभ्यस्त होना चुनौती रहेगी। मैराथन शुरू होने से पहले सभी का परीक्षण होता है। इस दौरान देखा जाता है कि चार घंटे तक पानी में रह सकते हैं या नहीं। मौसम की अनुकूलता देखकर 19 से 21 जुलाई के बीच तैराकी प्रारंभ होगी। इसके बाद 24 घंटे लगातार तैरना जारी रहेगा।
तैराकी को बनाया सहारा
इंदौर में वाणिज्यकर विभाग में पदस्थ मूलत: मप्र के भिंड के रहने वाले हैं। उनका जन्म सामान्य बच्चे की तरह हुआ था, लेकिन जन्म के 15 दिन बाद बीमारी के कारण शरीर का निचला हिस्सा दिव्यांग हो गया। ऐसे हालात में बहुत से लोग निराश हो जाते हैं, लेकिन सत्येंद्र ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने तैराकी का प्रशिक्षण प्रारंभ किया। वे पैरा तैराकी में अब तक 28 राष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं जबकि चार अंतररष्ट्रीय पदक भी हासिल किए हैं।
कई रिकार्ड, राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित
सत्येंद्र ने इंग्लिश चैनल तैरकर पार करते हुए लिम्का बुक आफ रिकार्ड में नाम दर्ज कराया था। इस दौरान वहां पानी का तापमान 12 डिग्री था।
2019 : सत्येंद्र ने 45 किमी लंबे कैटलीना चैनल अमेरिका (कैलिफोर्निया) को तैरकर पार किया। तब वहां पानी का तापमान 16 डिग्री था।
नार्दन आइलैंड में सत्येंद्र ने नार्थ चैनल पार किया। यहां पर आठ डिग्री तापमान के साथ सबसे ठंडा पानी होता है।
इन्हीं कार्यों के लिए सत्येंद्र को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार मिला था। उन्हें तात्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने यह सम्मान दिया था। यह सम्मान हासिल करने वाले वे देश के पहले दिव्यांग तैराक बने थे।