आशा कार्यकर्ताओ ने किया प्रदर्शन, अपनी विभिन मांगो को लेकर खोला मोर्चा
इंदौर। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग को रोड की तरह काम कर रही हजारों आशा कार्यकर्ता पिछले 17-18 वर्षों से केन्द्र द्वारा दिये जा रहे अल्प वेतन में काम कर रही है। आशा को 10,000 रू एवं पर्यवेक्षकों को 15,000 रुपये वेतन दिये जाने की मांग को लेकर विगत कुछ वर्षो से ओं का आंदोलन जारी है। दुर्भाग्य से अभी तक आशाओं को न्याय नहीं मिला। वर्ष 2018 में अगनवाडी कर्मियों का मान 5,000 से 10,000 किया गया, लेकिन सरकार द्वारा आशा कथा एवं पर्यवेक्षकों को उपेक्षा उस समय भी जारी की सरकार की इस उपेक्षा का परिणाम प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षक आज भी भुगत रही है। जबकि महंगाई को मार आशा भी बराबर रही थी।
इस भीषण बाई में हजारों आशायें आज भी घुट घुट कर जाने के लिये विवश हो रही है। दूसरी तरफ आपको कामको लगातार बढ़ता जा रहा है।
इस अमानवीय शोषण के बीच आशाओं ने किसी तरह अपने आप को और परिवार को जिंदा रखा। अब इस असहनीय परिस्थिति में राहत के लिये न्यायपूर्ण वेतन की मांग को लेकर आशा या पर्यवेक्षक निरंतर संघर्ष कर रही है। अब जब सरकार के द्वारा आंगनवाडी कर्मियों, रोजगार सहायकों एवं संविदा कर्मियों के वेतन एवं सुविधाओं के सम्बन्ध में निर्णय लेकर घोषणा करने के बाद सरकार द्वारा न्यायपूर्ण वेतन वृद्धि के सम्बन्ध में अभी तक कोई निर्णय न देते हुये आशाओं को अनदेखी किये जाने से प्रदेश को आशा एक पर्यवेक्षकों में व्यापक असंतोष आक्रोश एवं बेचैनी है।
प्रदेश सरकार द्वारा 11 जून 2023 को प्रदेश की आंगनवाडी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाकर 13,000 रुपये किया गया है। जबकि यह राशि वर्ष 2015 में केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये में बेहद कम है। इसके बावजूद आज प्रदेश को आंगनवाडी कार्यकर्ता का मानदेय देश में सबसे अधिक वाले तीन या चार राज्यों में है, जबकि आशाओं के मामले में यह देश में सबसे कम और सबसे निचले पायदान में है। इस से स्पष्ट है कि आशाओं के प्रति सरकार का रवैया लगातार भेदभावपूर्ण रहा है। सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में आशाओं के योगदान को नजरंदाज कर रही है। देश के आधा दर्जन के करीब राज्यों में राज्य सरकारे आशाओं को 8,000 रुपये तक अपनी ओर से मिला कर 10,000 रुपये मानदेय दे रही है। दूसरी ओर खुद तकलीफ सह कर दिन रात लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवायें दे रही प्रदेश की आशा या पक्षहद आहत एवं उपेक्षित महसूस कर रही है।
सरकार के द्वारा वर्षों से की जा रही उपेक्षा के चलते आशा कथा पर्यवेक्षक न्यायपूर्ण वेतन वृद्धि के लिये प्रदेश भर में आंदोलन करने के लिये विवश है। वेतन वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान सी. एम. एच. ओ ग्वालियर द्वारा 25 आशाओं को अनुचित तरीके से सेवा समाप्त करने की कार्यवाही गम्भीर चिंता का विषय है। प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन से एक चौथाई से कम वेतन / राशि में आशाओं से वर्षों से अपराधिक ढंग से काम कराने वाले विभाग द्वारा इस अमानवीय शोषण के खिलाफ प्रदर्शन को न्यायसंगत समान्य घटना को गम्भीर अपराध बताकर बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया का पालन किये, सेवा से स्त किया जाना जाना सरासर अनुचित एवं गम्भीर दमनात्मक कार्यवाही का हिस्सा है।