नगर निगम की 2 साल पुरानी रसीदों से पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली

उज्जैन। महाकाल लोक बनने के बाद धार्मिक नगरी में श्रद्धालुओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है महाकाल मंदिर के साथ ही अन्य धार्मिक स्थलों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। देशभर में प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर पर भी श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में दिखाई दे रही। जिसका फायदा कुछ लोगों द्वारा पार्किंग के नाम पर नगर निगम की 2 साल पुरानी रसीदें थमा कर उठाया जा रहा है।
11 अक्टूबर 2022 को महाकाल लोक का लोकार्पण होने की बाद बाबा महाकाल की नगरी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु महाकाल मंदिर ही नहीं शहर में बने अति प्राचीन और आस्था से भरे मंदिरों तक पहुंच रहे। बाबा महाकाल के सेनापति के रूप में काल भैरव का मंदिर भी विश्व प्रसिद्ध है जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला बना हुआ। मंदिर के बाहर पार्किंग का टेंडर होना बाकी है बावजूद इसके कुछ लोगों द्वारा यहां अवैध वसूली पार्किंग के नाम पर श्रद्धालुओं से की जा रही है। वसूली करने वालों द्वारा वाहन लेकर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को नगर निगम की 20 रुपए लिखी रसीद थमाई जा रही है, जो वर्ष 2021 की है लेकिन उस पर नगर निगम की सील लगाकर प्रतिदिन हजारों की वसूली की जा रही। कुछ श्रद्धालुओं द्वारा जब रसीद पुरानी होने की बात कही जाती है तो उनके साथ वसूली करने वाले द्वारा अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। आस्था लेकर आने वाले श्रद्धालु वसूली करने वालों से बिना विवाद की 20 रुपए देकर दर्शन के बाद लौट रहे हैं लेकिन जिस तरह से काल भैरव मंदिर के बाहर अवैध वसूली हो रही है उससे धार्मिक नगरी की छवि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के सामने खराब हो रही है। बताया यह भी जा रहा है श्रद्धालुओं के वाहनों के साथ ही यहां पहुंचने वाले ई-रिक्शा और आॅटो चालकों से भी पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है। कुछ लोगों ने बताया कि पार्किंग के नाम पर नगर निगम कर्मचारी वसूली कर रहे हैं लेकिन यह पैसा कहां जा रहा है इसकी जानकारी सामने नहीं आ पा रही है। नगर निगम की ओर से कहा जाता है कि रसीद मंदिर समिति द्वारा बनवाई गई है लेकिन रसीद पर कहीं भी काल भैरव मंदिर समिति का उल्लेख नहीं है। धार्मिक नगरी में आस्था लेकर आने वालों के साथ कुछ शातिर दिमाग लोगों द्वारा लगातार ठगी और धोखाधड़ी की जा रही है। ऐसे मामले महाकाल मंदिर में भी सामने आ चुके हैं जहां श्रद्धालुओं से भस्म आरती, जलाभिषेक और सुदर्शन के नाम पर धोखाधड़ी हो चुकी है। कुछ मामलों में पुलिस द्वारा जांच की जा रही है वहीं धोखाधड़ी करने वालों को गिरफ्तार भी किया गया। बावजूद इसके श्रद्धालुओं के साथ धोखाधड़ी और अवैध वसूली के मामले कम नहीं हो रहा है।