लड़की के पेट से निकाला 864 ग्राम बाल का गुच्छा- इंदौर में सिर्फ 9 साल की लड़की अपने ही बाल तोड़ कर खा जाती थी..!
इंदौर। नौ साल की एक लड़की अपने ही बाल तोड़कर खा जाती थी। यह सिलसिला सात साल से चल रहा था। परिवार टोकता, डांटता था पर वह मानी नहीं। हालत यह हो गई कि उसे पेट दर्द के साथ उल्टियां और दस्त होने लगे। जब डॉक्टरों को दिखाया तो सभी हैरान रह गए। पेट में बाल का गुच्छा बन चुका था। दो घंटे की सर्जरी कर उसे निकाला तो उसका वजन 864 ग्राम था। 9 साल की उम्र में पेट से इतना बड़ा बालों का गुच्छा निकालने का संभवत: पहला मामला है। बालिका पूरी तरह ठीक है। एक हफ्ते बाद उसे लिक्विड देना शुरू कर दिया जाएगा।
इंदौर के पास एक गांव में रहने वाली बालिका अपनी मां के साथ मामा के यहां रहती है तथा चौथी में पढ़ती है। उसकी एक 14 वर्षीय बहन है जबकि पिता पारिवारिक विवाद के चलते अलग रहते हैं। 26 जून को उसकी मां, मामा और बहन उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। उन्होंने बताया कि करीब एक माह से उसे पेट दर्द हो रहा है। वह कुछ ठीक से भोजन भी नहीं कर पा रही है और उल्टियां होती हैं। दस्त भी काले-लाल रंग जैसे हो रहे हैं। डॉक्टरों ने प्रारंभिक तौर पर उसका पेट देखा तो कुछ बड़ा लग रहा था। इस पर उन्हें ट्यूमर की शंका हुई। डॉक्टरों ने परिजन ने बात की तो उन्होंने कहा कि कुछ सालों से कभी-कभी खुद के बाल तोड़कर खाती थी। इस पर डॉक्टरों ने उसके सिर के बालों को देखा तो काफी कम नजर आए तो हैरानी भी हुई। उन्होंने उसकी ब्लड, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन सहित अन्य इन्वेस्टिगेशन कराए तो पेट में बालों का एक बड़ा गुच्छा नजर आया।
बाल खाना अच्छा लगता है
इसके बाद डॉक्टरों ने बालिका से बात की तो पहले तो वह संकोच करती रही तो कभी चिढ़कर जवाब दिया। फिर उसने बताया कि वह बचपन से ही बालों को तोड़कर खा रही है और उसे यह अच्छा लगता है। डॉक्टरों ने उसे बताया कि तुम्हें बाल खाने के कारण पेट दर्द हो रहा है। अब तुम बाल तो नहीं खाओगी तो उसने हामी भरी। बहरहाल, परिजन की सहमति के बाद 5 जुलाई को उसकी सर्जरी प्लान की गई। इस दौरान करीब 15 सेमी का चीरा लगाकर बालों के भारी गुच्छे को बाहर निकाला गया। सर्जरी के दौरान बालिका को एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया और 10 टांके लगाए गए।
हॉस्पिटल के एनएसआईयू के यूनिट हेड डॉ. मनीष पटेल ने बताया कि बच्चों के पेट में (9 वर्ष तक की उम्र) में 864 ग्राम बालों के गुच्छा निकलने का मेडिकल लिटरेचर में अपने आप में यह पहला और अलग मामला है। आमतौर पर बच्चों में मिट्टी खाने के मामले सामने आते हैं जबकि बाल खाने के केस कभी-कभार आते हैं लेकिन इतनी मात्रा में खाना आश्चर्यजनक है। सर्जरी करने वाले डॉक्टर असिस्टेंट प्रो. गौरव सक्सेना ने बताया कि बालिका स्वभाव से नॉर्मल है और ठीक से बात करती है, उसे साइको नहीं माना जा सकता। यह उसकी आदत रही है। अभी वह एनआईसीयू में है तथा उसे स्लाइन व मेडिसिन दी जा रही है। एक हफ्ते बाद उसे लिक्विड डाइट शुरू की जाएगी। इसके साथ ही ठीक होने के बाद फिर से ऐसी हरकतें न करे इसके लिए साइक्रियाटिक ओपिनियन लिया जाएगा क्योंकि अगर ऐसा इश्यु है तो उसे सॉल्व करना जरूरी होगा।