बिजली गुल : मोमबत्ती-मोबाइल की रोशनी में हुआ छात्रा का पोस्टमॉर्टम
एडीएम की परमिशन से जिला अस्पताल में रात में हो रहा था पीएम, तभी चली गई लाइट
इंदौर। एडीएम की विशेष परमिशन के बाद आधी रात को हो रहे पीएससी की छात्रा के पोस्टमॉर्टम के दौरान अचानक लाइट चली गई। शव खुला हुआ था और अचानक अंधेरा छा गया। ताबड़तोड़ डॉक्टर ने मोबाइल निकाला फिर तीन मोमबत्तियां जलाईं। मशक्कत के बाद छात्रा का पोस्टमॉर्टम पूरा हुआ। शहर में पहली बार रात के समय इस तरह पोस्टमॉर्टम किया गया है।
मामला भंवरकुआं इलाके में किराए से रहने वाली सृष्टि पिता मनीष यादव (22) का है। वह मूल रूप से दमोह की रहने वाली थी। यहां बहन के साथ रहकर पीएससी की तैयारी कर रही थी। जब छोटी बहन बाहर गई तो सृष्टि ने फांसी लगा ली। दोपहर बाद जब बहन लौटी तो घटना की जानकारी लगी। उसने पहले परिजन ने पुलिस को सूचना दी।
सृष्टि की मौत के बाद इंदौर में रहने वाले परिचित एकजुट हुए। फिर बड़े स्तर पर फोन लगाए गए। परिजन का कहना था कि शव दमोह ले जाने में काफी वक्त लगेगा, इसलिए रात में पीएम करवाना चाहते हैं। आखिर में आधी रात को एडीएम अजय देव शर्मा के हस्ताक्षर पर रात को पोस्टमॉर्टम करने की परमिशन दी गई। फिर पुलिस ने जिला अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क किया। 2 बजे फारेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर भरत वाजपेयी और साथी कर्मचारी कमल सालवे को बुलाया और पीएम किया।
डॉक्टर टांके लगाने वाले थे तभी अचानक बिजली गुल हो गई
डॉ. वाजपेयी ने बताया कि तेज बारिश के कारण पोस्टमॉर्टम रूम की छत से पानी टपक रहा था। वहां फिसलन थी, संभलकर चलना पड़ रहा था। छात्रा का शव खोल दिया गया था, तभी लाइट चली गई। आसपास के परिसर में लाइट थी, लेकिन मर्च्युरी की बंद हो गई। मैंने मोबाइल निकालकर लाइट दिखाई, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी। फिर हमने खोज की तो तीन मोमबत्तियां मिल गईं। मोमबत्ती व मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में कमल शव की सिलाई करता रहा। मैंने अपने कार्यकाल में पहली बार रात में मोमबत्ती और मोबाइल की रोशनी में पोस्टमॉर्टम किया।
धागा पिरोने में आ रही थी परेशानी
कर्मचारी कमल ने बताया कि इसके पहले कभी ऐसा नहीं किया। जब शव को सिलने का वक्त था तब लाइट चली गई। उस वक्त सूई में धागा पिरोने में दिक्कत आ रही थी। संयोग से मैं बेटे को साथ लाया था जो बाहर बैठा था। उसने सूई में धागा पिरोकर दिया।