ईसाई संस्थाओं को इंदौर पुलिस के नोटिस से बवाल
इंदौर के सभी चर्चों में आज प्रार्थना सभा के बाद की निंदा, सभी चर्च राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री को भेजेंगे आपत्ति
इंदौर। पुलिस द्वारा ईसाई संस्थाओं से जुड़े 300 लोगों को जारी किए गए नोटिस से बवाल हो गया है। सरकार ने समाज के संगठनों की गोपनीय जानकारी मांगी थी। इसके लिए एक गुप्त फॉर्मेट भी दिया गया था, लेकिन इंदौर के थाना प्रभारियों ने इसे भरने के बजाय यह फार्मेट नोटिस की तरह जारी कर दिया। नोटिस के संबंध में आज रविवार को इंदौर के सभी चर्चों में प्रार्थना सभाओं के बाद शासन के इस कृत्य की निंदा की गई। इसके साथ ही सभी चर्च एकजुट होकर राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर इस कृत्य की निंदा करने से अवगत कराएंगे। आज दोपहर छावनी स्थित मसीही मंदिर चर्च में निंदा प्रस्ताव किया जाएगा।
गौरतलब है कि पुलिस का यह नोटिस ईसाई समाज की विभिन्न संस्थाओं, चर्च से जुड़े लोगों, पादरी आदि को जारी किए गए हैं। इसमें पुलिस ने 16 बिंदुओं में जानकारियां मांगी थी। नोटिस पर समाज में बवाल हुआ तो पुलिस कमिश्नर ने गलती मानते हुए इन्हें वापस भी ले लिया है, लेकिन समाज इससे नाराज है। उनका कहना है कि यदि गोपनीय रूप से भी ऐसी कोई जानकारी जुटाई जा रही है तो वह बहुत आपत्तिजनक है।
इंदौर में 300 लोगों को भेजे नोटिस, बवाल हुआ तो वापस लिए
फार्मेट में क्रिश्चयन मिशनरीज का नाम, कार्य व उद्देश्य, मुख्य गतिविधियाें के साथ ही सीधे पूछा गया है कि क्या मिशनरीज की गतिविधियां उद्देश्य के अनुरूप हैं? क्या गतिविधियां संदेहजनक प्रतीत होती हैं? क्या मिशनरीज की गतिविधियां आंदोलनात्मक प्रतीत होती हैं? क्या मिशनरीज धर्म परिवर्तन की गतिविधियों में संलिप्त हैं? मिशनरीज ने तीन माह में क्या गतिविधियां की? क्या वे स्वयं सेवी संगठन चला रही हैं? उनके एनजीओ को क्या विदेशी धन प्राप्त होता है? मिशनरीज के बैंक का विवरण, पदाधिकारियों के नाम, पते, मोबाइल नंबर भी मांगे गए हैं।
40 से ज्यादा चर्च व 60 हजार की आबादी
थाना प्रभारियों की इस गलती ने पुलिस को धर्मसंकट में डाल दिया है। इंदौर में ईसाई समाज की संख्या 60 हजार से अधिक है। कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट समुदाय के छोटे बड़े मिलाकर 40 से ज्यादा चर्च हैं। इतने ही इनके संगठन हैं। ये संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं।
संवैधानिक हक का उल्लंघन
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के सुरेश काल्टन का कहना है कि नोटिस में कई आपत्तिजनक सवाल पूछे गए हैं। पुलिस का यह कृत्य संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध है। हम धर्म परिवर्तन से जुड़ी गतिविधियों में लिप्त नहीं हैं। हम पूरे मामले को हाईकोर्ट तक लेकर जाएंगे।