धैर्य व सहनशीलता के गुण को आत्मसात करे मानव
मन्दसौर। प्रभु महावीर का सम्पूर्ण जीवन मानव के लिये प्रेरणादायी है। प्रभु महावीर ने धैर्य व सहनशीलता का जो गुण था वह अद्भूत था। जैन आगमों में प्रभु महावीर ने हमें अपने जीवन में धैर्य व सहनशीलता का गुण अपनाने की प्रेरणा दी है। उक्त उद्गार प.पू. जैन संत श्री पारसमुनिजी म.सा. ने नवकार भवन शास्त्री कॉलोनी में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने रविवार को यहां आयोजित धर्मसभा में कहा कि मनुष्य में धैर्यता व सहनशीलता का गुणा कम हो रहा है। घर परिवार में कलह के कारण मनुष्य का जीवन दुखी है। क्रोध करना मनुष्य की आदत बन गई है। मनुष्य को अपनी इस प्रवृत्ति को कम करने का प्रयास करना चाहिये। आपने कहा कि हम सुख की कामना तो करते है लेकिन सुख अनुभव नहीं कर पाते। इसका कारण भी धैर्य व सहनशीलता की कमी है। हम स्वयं तो सुख पाना चाहते है लेकिन दूसरोंको दुखी करने की प्रवृत्ति नहीं छोड़ते है। जिनके जीवन धैर्यता व सहनशीलता है वही प्राणी वास्तव में सुखी है।दलौदा निवासी दिनेश पंवार जो कि टेलर समाज के है वे पारसमुनिजी म.सा. की प्रेरणा से 31 उपवास (मासखमण) की तपस्या कर रहे है। कल रविवार को उन्होंने नवकार भवन में आकर संतश्री से तपस्या के पंचकाण लिये तथा प्रवचन श्रवण किये।