घर बैठे पैसे कमाने का चस्का युवाओं के लिए बन रहाजी का जंजाल लोन की राशि नहीं देने पर देते अश्लील वीडियो और फोटो भेजने की धमकीं

सुसनेर ।  बढ़ते इंटरनैट के इस्तेमाल ने जहां लोगों की जिंदगी को आसान बनाया है वहीं धोखाधड़ी के मामलों में भी तेजी से बढ़ौतरी हुई है। आज साइबर अपराधी नए-नए हथकंडे को अपनाकर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। इसी कड़ी में अब शातिर अपराधी फेक लोन एप के माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में साइबर क्राइम पुलिस ने एडवाइजरी जारी करने के साथ ही फेक ङ्क्षलक, फेक एप और इंटरनैशनल/ इंटरनैट जनरेटिड नंबरों की एक सूची जारी की है। साइबर पुलिस के अनुसार शातिर ठग लोन एप बनाकर गूगल स्टोर या गूगल पर डाल देते हैं और उनके माध्यम से लोन देने का लालच दिया जाता है। ऐसे में व्यक्ति तुरंत लोन पाने के लालच में संबंधित लोन देने वाले एप को इंस्टाल कर देते हैं। डाऊनलोडिंग के समय एप यूजर से उसकी गैलरी, कांटैक्ट्स व लोकेशन आदि के एक्सेस की अनुमति मांगते है। जो अक्सर यूजर दे देते है। कई बार शातिर ठग एप के माध्यम से एप यूजर के फोन में बिना उसकी जानकारी के ही थर्ड पार्टी एप या मालवेयर इंस्टाल कर देते हैं और इसके माध्यम से यूजर की निजी जानकारियां चुरा लेते है। कई दफा निजी जानकारियों का इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए भी किया जाता है। ऐसे में साइबर पुलिस ने सभी को सचेत रहने को कहा है।
लोन ऐप के फ्रॉड का फंदा
लोन एप के माध्यम से फ्रॉड ऐप पर किसी भी व्यक्ति को आनलाइन बड़ी धन राशि बिना किसी गारंटी के देने एवं लोन की राशि 12 से 36 महीने में चुकाने के लिए बताया जाता है। बार-बार ऐसे विज्ञापन सामने आने पर विशेषकर विद्यार्थी और युवा वर्ग तत्काल आॅनलाइन लोन सुविधा उपलब्ध होने वाले विज्ञापन के बहकावे में आ जाते हैं। कई बार युवाओं के मन में जिज्ञासा होती है कि क्या ऐप से लोन मिल सकता है। यह सोच कर अपनी व्यक्तिगत जानकारी आॅनलाइन अपलोड कर लोन देने वाले ऐप को मोबाइल में इंस्टाल कर लेते हैं। इसके बाद वे इसके जाल में फंसते चले जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते।
सामाजिक कलंक से बचना चाहते हैं लोग
साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर के अनुसार यह बहुत गंभीर मुद्दा है। ऐप के एजेंट यूजर को प्रोफाइल करते हैं फिर मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू होता है। सामाजिक कलंक के कारण पीड़ित रुपए का भुगतान करते हैं। वे ज्यादातर लो-मिडिल क्लास के लोगों को टारगेट करते हैं जिन्हें रुपए की सख्त जरूरत होती है। यह एक दुष्चक्र है।
एक क्लिक पर लोन
ऐप एक बटन के क्लिक पर उधार देते हैं. लेकिन ऊंची ब्याज दर वसूलते हैं। अधिकतर एप केवल 75 प्रतिशत लोन अमाउंट देते हैं और बाकी 25 प्रतिशत प्रोसेसिंग फीस के रूप में रख लेते हैं। लोन न लौटा पाने की स्थिति में लोग
फंस गए तो फोन फॉर्मेट कर दें
केवल भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रजिस्टर्ड नॉन-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां ही लोगों को रुपए उधार देने का काम कर सकती हैं।