राष्ट्रध्वज का अपमान करने पर है अधिकतम तीन वर्ष की सजा -अरविन्द उपाध्याय

बड़वानी ।  दो सौ वर्षों की गुलामी के उपरांत हम 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। मैं अंग्रेजों से संघर्ष करने वाले समस्त ज्ञात-अज्ञात क्रांतिकारियों को प्रणाम करता हूँ। भारतीय झंडा संहिता 2002 के अंतर्गत हमें 2002 से व्यक्तिगत रूप से झंडा फहराने का अधिकार प्राप्त हुआ है। झंडे के आकार, ध्वज फहराने, ध्वजारोहण और ध्वज को उतारने के संबंध में संहिता में स्पष्ट प्रावधान किये गये हैं। कटा-फटा, धुंधला, दाग-धब्बे वाला ध्वज नहीं फहराया जा सकता है। ध्वज में कोई वस्तु नहीं लपेटी जा सकती है। ध्वज का अपमान किये जाने पर संहिता में अधिकतम तीन वर्षों के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा भारतीय झंडा संहिता-2002 विषय पर आधारित कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ सुप्रसिद्ध अधिवक्ता और जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष अरविंद उपाध्याय ने कहीं। कार्यशाला की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. दिनेश वर्मा ने की।
इस अवसर पर जनभागीदारी समिति के सदस्य अभिषेक शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्राचार्य डॉ. वर्मा ने कहा कि हमारे हाथों में जब ध्वज होता है तो हमारा आत्मविश्वास बहुत बढ़ जाता है। हमारा झंडा विश्व के सबसे सुंदर राष्ट्रध्वजों में से एक है। प्रत्येक नागरिक को 13, 14 एवं 15 अगस्त को अपने घरों में ध्वज अवश्य ही फहराना चाहिए।
उपाध्याय ने पूरी भारतीय झंडा संहिता की व्याख्या करते हुए प्रत्येक उपबंध को सरलता और स्पष्टता से समझाया, जिससे कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए सार्थक रही। कार्यशाला का समन्वय करने वाले कार्यकर्तागण प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि हर घर तिरंगा, घर-घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशाला आयोजित की गई थी। हमें राष्ट्रध्वज से संबंधित महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधानों की जानकारी प्राप्त हुई है। इस जानकारी को हम अन्य विद्यार्थियों और व्यक्तियों के साथ साझा करेंगे।