दुनिया के बड़े लोगों को जानना ठीक, क्या आप इन भारतीय दिग्गजों को भी जानते हैं

इंदौर ।  वैश्विक पटल के शिखर पर चढ़ते हुए भारत लगातार आत्मनिर्भरता की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा है। हम आज हर क्षेत्र में तरक्की कर रहे हैं और दुनियाभर में हमारी धाक मजबूत हो रही है। ऐसे में एक सच्चा भारतीय होने के नाते हमें अपना दृष्टिकोण बड़ा करना होगा। भले ही हम लोग टेस्ला, माइक्रोसाफ्ट, फिलिप्स, सैमसंग जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियों को जानते हों और उनके सीईओ को भी, किंतु अब हमें अपने देश की दिग्गज कंपनियों और अर्थव्यवस्था को ताकत देने वाले उद्यमियों के बारे में भी जानना होगा। सच्चा आत्मनिर्भर होना यही तो होता है कि हम अपने लोगों की क्षमताओं और सफलताओं का उत्सव मनाएं।
यह उन सब बातों का निचोड़ है, जो इंदौर में हुए एक आयोजन में मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जिया ने कहीं। वे इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन (आइएमए) द्वारा ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में “आधुनिक भारत का असामान्य उदय” विषय पर सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इसमें निवेशकों, बिजनेस लीडर्स और दर्शकों ने भाग लिया।भारत आधुनिक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर
मुखर्जिया ने भारत की उल्लेखनीय आर्थिक यात्रा की बात करते हुए कहा कि देश एक आधुनिक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है। अत: हमें भारतीय कंपनियों के साथ मजबूती से खड़े रहना चाहिए। उन्होंने वर्ष 1870 से 1940 तक यूनाइटेड स्टेट्स आफ अमेरिका के औद्योगीकरण के साथ भारत की यात्रा की तुलना की, जिसमें भारत के डिस्टिंक्ट विकास पैटर्न और कोविड महामारी के बाद की रिकवरी में देश के लचीलेपन पर जोर दिया।
ड्राइवर अच्छा हो तो हादसे का डर नहीं होता
मुखर्जिया ने कंपनी के सफल होने पर एक उदाहरण दिया कि अगर कोई कैब ड्राइव फरारी कार को 150 की स्पीड से दौड़ा रहा हो, तो लोग कहेंगे कि कभी भी हादसा हो सकता है, ड्राइवर का मूड खराब होगा, जल्दी ही ये मरेगा, दूसरों को भी ले डूबेगा। वहीं अगर लोगों को बताया जाए कि फरारी कार को लुईस हैमिल्टन चला रहे हैं, जो फामूर्ला रेस वन में करीब 360 किमी प्रति घंटा की स्पीड से रेस करते हैं, तो लोग तुरंत सकारात्मक सोचने लगते हैं। कंपनियों का भी यही हाल होता है। अगर कंपनी को कोई बेहतर सीईओ मिल जाता है, तो कंपनी में घाटे की संभावना काफी कम हो जाती है।