नागपंचमी पर निकली महाकाल की सातवीं सवारी, लाखों श्रद्धालु अभिभूत

चांदी की पालकी, हाथी व 5 रथों पर निकले सात स्वरूप, जटाशंकर पहली बार शामिल

उज्जैन ।  नागपंचमी पर्व पर सोमवार को उज्जैन में बाबा महाकाल की सातवीं सवारी निकली तो लाखों श्रद्धालु दर्शन कर अभिभूत हो उठे। सवारी में भगवान महाकाल के सात स्वरूप निकले। सबसे आगे चांदी की पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर विराजित थे तो सबसे पीछे हाथी पर चांदी के सिंहासन पर मनमहेश निकले। बीच में 5 रथ पर शिव तांडव, उमा महेश, होलकर व घटाटोप के साथ इस बार नया स्वरूप जटा शंकर का निकाला गया।
शाम 4 बजे सवारी मंदिर से निकलना शुरू हुई। इसके पहले सभामंडप में शासकीय पुजारी घनश्याम गुरु ने चंद्रमौलेश्वर की प्रतिमा का पूजन किया। इसके पश्चात पंडे-पुजारियों ने बाबा को पालकी में विराजित किया और कहारों ने पालकी उठाई। मंदिर के बाहर सशस्त्र जवानों ने राजाधिराज महाकाल को सलामी देकर नगर भ्रमण के लिए रवाना हुए। नागपंचमी पर्व के संयोग में निकली सवारी को देखने के लिए मार्ग में लाखों श्रद्धालु जमा थे। संपूर्ण अवंतिका नगरी महाकाल के जयकारों से गुंजायमान हो उठी।
रामघाट पर शिप्रा जल से अभिषेक
पुलिस बैंड, घोड़े व भजन मंडलियां
सवारी महाकाल मंदिर से निकलकर गुदरी चौराहा, कहारवाड़ी होकर शिप्रा के रामघाट पहुंची जहां पुजारियों ने शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, कार्तिकचौक, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर से होते हुए रात में महाकाल मंदिर पर समाप्त हुई। सवारी में आगे पुलिस के जवान 5 घोड़ों पर निकले तो पुलिस का बैंड भी आकर्षक धुन बजाते हुए शामिल हुए। सशस्त्र जवानों की टुकड़ियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थी। भजन मंडलियां धार्मिक भजनों की स्वर लहरिया बिखेरते हुए निकली।