जिंदगी के लिए जरूरी रेमेडीसिविर इंजेक्शन के लिए दवा बाजार में उमड़ी भीड़

इंदौर। दवा बाजार की तस्वीरें रेमेडीसिविर इंजेक्शन खरीदने के लिए कोविड मरीजों के परिजनों की है। जिनकी परेशानी पिछले 3 दिनों से न जनप्रतिनिधि समझ रहे हैं न अफसर और न ही सरकार। एक ओर इनके परिजन अस्पतालों में कोविड-19 के शिकार होकर जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं। जान तब ही बचेगी जब इंजेक्शन के डोज की व्यवस्था होगी। दवा बाजार में केवल एक दुकान पर मजबूरीवश सैकड़ों की संख्या में उमड़े इन परिजनों की भीड़ से भी कोरोना विस्फोट हो सकता है। जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि सैकड़ों लोगों की भीड़ यहां एकत्र होने के बावजूद भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जबकि चोरी छुपे इस इंजेक्शन की कालाबाजारी ऊंचे दामों पर जारी है। सिर्फ एक दुकान पर अगर भीड़ का यह आलम है तो समझा जा सकता है कि जिंदगी के लिए जरूरी रेमेडीसिविर   इंजेक्शन की कितने हजार लोगों को जरूरत होगी।
सिर्फ मास्क न पहनने पर आतंकी कार्रवाई करने वाला जिला प्रशासन , नगर निगम और उन्हीं से जुड़ा स्वास्थ्य विभाग क्या इस इंजेक्शन को लेकर कोई जवाब देगा? जो इंजेक्शन सरकार को आसानी से उपलब्ध करवाना चाहिए, वह ब्लैक में बिक रहा है। किसी भी मेडिकल की दुकान पर चले जाओ, उसका जवाब यही होता है यह इंजेक्शन नहीं है। तब फिर सवाल यह उठता है कि क्या सरकार ने यह इंजेक्शन बाजार में अभी तक उपलब्ध नहीं हैं? यदि नहीं करवाए हैं तो यह सरकार की अक्षम्य  लापरवाही है और यदि करवाए हैं तो फिर कहां गए? इसका जवाब भी सरकार को ही देना है।
 इंदौर, भोपाल, उज्जैन सहित  प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बेकाबू है। घर- घर से निकल रहे हैं कोरोना संक्रमित मरीज। ऐसे में कोरोना लंग्स इंफेक्शन को रोकने के लिए एकमात्र इंजेक्शन रेमेडीसिविर इस समय इंदौर सहित पूरे प्रदेश के बाजारों में उपलब्ध नहीं है। मात्र 800 से 1200 रुपए तक की अलग-अलग कंपनी की कीमत वाला यह इंजेक्शन 4 से 5 हजार में भी उपलब्ध नहीं है। लेकिन कुछ अस्पतालों के मेडिकल स्टोर पर कालाबाजारी कर यह इंजेक्शन एमआरपी रेट 5400 पर बेचा जा रहा है। कालाबाजारी हो रही है और हालात यह हैं कि 6000 रुपये तक भी यह इंजेक्शन बिक रहा है। यह और बात है कि कहीं- कहीं तो 6000 रुपये में भी उपलब्ध नहीं है। इंदौर और आसपास के जिलों में इंजेक्शन का टोटा पड़ा हुआ है।
ऐसे में कोरोनावायरस से बचने के लिए 5 से 6 इंजेक्शन का कोर्स लेने का गरीब आदमी सोच भी नहीं सकता। शासकीय और निजी अस्पताल दोनों में ही यह इंजेक्शन परिजनों से ही मंगवा रहे हैं। एक मरीज को 5 इंजेक्शन का कोर्स पूरा करने के लिए 25000  रुपये केवल इंजेक्शन पर खर्च करने होंगे । इस समय यह खर्च करने पर भी इंजेक्शन मिलना संजीवनी खोजने के समान है। मुख्यमंत्री के सपनों का शहर और स्वर्णिम मध्यप्रदेश की जनता जिसको शिवराज भगवान कहते हैं, उसकी जान बचाने के लिए फिलहाल कोई व्यवस्था नजर नहीं आ रही है। अस्पतालों में मरीजों को मुनासिब दाम पर यह इंजेक्शन कैसे मिले, प्रशासन से यह सुनिश्चित करवाया जाना चाहिए। वरना , संक्रमण और इंजेक्शन समय पर उपलब्ध नहीं होने के अभाव में श्मशान में मौतों का आंकड़ा और बढ़ जाएगा।