कान के आॅपरेशन के बाद हो गई थी बच्चे की मौत, अस्पताल में ही अंत्येष्टि पर अड़े स्वजन
स्वजन का आरोप- अस्पताल की लापरवाही से गई बच्चे की जान, अस्पताल प्रबंधन ने कहा- आॅपरेशन में नहीं हुई कोई लापरवाही
नगर प्रतिनिधि इंदौर
मालवा मिल क्षेत्र के रुस्तम का बगीचा में रहने वाले 15 साल के पीयूष पिता मुकेश कश्यप की एमवाय अस्पताल में कान की हड्डी के आपरेशन के बाद वार्ड में उपचार के दौरान मौत हो गई। नर्स पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए स्वजन अस्पताल परिसर में ही बच्चे की अंत्येष्टि करने पर अड़ गए। स्वजन कंडे और लकड़ी ले आए और परिसर में ही चिता भी बना दी। सूचना पर पुलिस पहुंची और स्वजन को समझाइश देकर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार करने के लिए रवाना किया।
बचपन से पीयूष का कान बहता था। डाक्टरों को दिखाया तो पता चला कि उसके कान की हड्डी गल गई है। ऐसे मे बच्चे को उसके स्वजन एमवाय अस्पताल में आपरेशन के लिए ले गए थे। पीयूष आठ दिन से अस्पताल में भर्ती था और गुरुवार सुबह 12 बजे उसके कान की हड्डी का आपेरशन किया गया। मामा पुष्पेन्द्र सुन्हेरे के मुताबिक. आपरेशन के बाद पीयूष को जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया था। उसके बाद हमारी उससे करीब एक घंटे तक बात भी हुई। इसके बाद एक एक नर्स आई और उसे इंजेक्शन लगाया। हमें पता चला है कि आपरेशन के चार से पांच घंटे बाद मरीज को जो इंजेक्शन देना रहता है, नर्स ने उसे आधा घंटे बाद ही दे दिया। इससे पीयूष को अटैक आ गया और हृदयागति बंद होने पर डाक्टर उसे क्रिटिकल आइसीयू यूनिट में ले गए। हृदय पर दबाव दिया गया और डेढ़ से दो घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा गया। दो घंटे बाद भी डाक्टरों ने कुछ नहीं बताया। जब हमने हंगामा किया तो बताया कि बच्चे की मौत हो गई। स्वजन ने कहा, नर्स की लापरवाही से बच्चे की मौत हुई है।
पोस्टमार्टम के पश्चात ही मौत का कारण होगा स्पष्ट
बच्चे के कान का आपरेशन सफल रहा था। यह एक दुर्भाग्यशाली घटना है और बेहद दुर्लभ भी। कभी-कभी किसी दवा से मरीज को रिएक्शन हो जाता है। ऐसा हजारों-लाखों में से किसी एक को होता है। यह दुर्लभ है, लेकिन असंभव नहीं है। विस्तृत जांच और पोस्टमार्टम के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। -डा. यामिनी गुप्ता, विभागाध्यक्ष नाक कान गला रोग विभाग, एमवाय अस्पताल
अस्पताल प्रबंधन बोला- आपरेशन में नहीं हुई लापरवाही
एमवाय अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि बच्चे के कान का आपरेशन सफलतापूर्वक किया गया। वह एनेस्थिसिया के असर से बाहर भी आ गया था और उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। इसके एक घंटे बाद उसे रूटीन एंटीबायोटिक और पेनकिलर इंजेक्शन दिए गए। कुछ समय बाद उसका शरीर ठंडा पड़ने लगा। डाक्टरों ने उसे तुरंत आइसीयू में शिफ्ट किया, लेकिन दुर्भाग्यवश उसे बचाया नहीं जा सका। आपरेशन में कोई लापरवाही नहीं हुई। कान के आपरेशन से मरीज की जान का कोई खतरा नहीं बनता।