उज्जैन की इकोनॉमी चेंज, 50 लाख लोग हर  माह आ रहे, साल में 3 हजार करोड़ आएंगे 

– महाकाल लोक बनने के बाद 10 महीने में पहने ऐसा बूम आया कि यहां के व्यापार चमचमा उठे

 

धार्मिक नगरी उज्जैन की इकोनॉमी अब चेंज हो चुकी है। क्योंकि अब यहां 50 लाख लोग हर माह आ रहे हैं। इनसे 3 हजार करोड़ सालाना इनकम होगी। ये अनुमान हमारा नहीं बल्कि उज्जैन के प्रशासन का है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दरबार में तो हमेशा से ही हजारों लोग दर्शन-पूजन के लिए आते रहे हैं लेकिन जब से महाकालेश्वर मंदिर के ठीक पीछे महाकाल लोक बना है इसे देखने के लिए दुनियाभर के लोग दिवाने हो रहे हैं। और हर कोई उज्जैन आ रहा है। बस यहीं सबसे बड़ा कारण है उज्जैन की इकोनॉमी चेंज होने का। 

क्योंकि पहले पूरे साल में जितने लोग शहर में देव-दर्शन करने व घूमने आते थे। उतने तो आज हर माह में पहुंच रहे हैं। और यह बूम महज 10 महीने के अंदर ही देखने में आया है। इस साल श्रावण का अधिकमास होने से तो श्रद्धालुओं के उज्जैन आने का रिकॉर्ड ही टूट गया। 4 जुलाई से श्रावण का कृष्ण पक्ष शुरू हुआ था। बीच में एक महीने अधिकमास चला और अभी श्रावण शुक्ल चल ही रहा है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की गिनती करने वाले कैमरे लगे हैं। प्रतिदिन इनकी गितनी हो हरी है। हाल ही में 23 अगस्त तक यानी 51 दिन का रिकॉर्ड देखा गया तो पता चला कि पौने 2 करोड़ लोगों ने दर्शन कर लि है। इस मान से देखे तो पहले श्रावण व अधिकमास में औसतन रोज साढ़े 3 लाख श्रद्धालु उज्जैन आए। इसके मुताबिक देखे तो महीने में 50 लाख तक श्रद्धालु आ रहे हैं। इससे औसतन 3 हजार करोड़ रुपए सालाना की इनकम होने का पुख्ता अनुमान है। 

जाने उज्जैन की बदली इकोनॉमी 

पर क्या कह रहे हैं यहां के व्यापारी  

उज्जैन में समाजसेवा से लेकर व्यापार-व्यवसाय में हस्तक्षेप रखने वाले राजेश अग्रवाल, समाजसेवी एवं पेट्रोल पंप मालिक गोपाल माहेश्वरी, दूध विक्रेता संघ के अध्यक्ष एवं होटल मालिक मोहन वासवानी, समाजसेवी एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य पुजारी प्रदीप गुरु का कहना है कि यहां हर महीने अनुमानित 50 लाख लोगों के आने की जानकारी मिल रही है। जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आएंगे तो वे एक से दो दिन आवश्यक रुकेंगे भी सहीं। देव-दर्शन, दान-पुण्य करेंगे, प्रसाद खरीदेंगे, चाय-नाश्ता, भोजन, ऑटो-टैक्सी से लेकर अन्य फुटकर खर्च भी उनकी यात्रा में शामिल है। जब इस संबंध में शहर के प्रमुख व बड़े व्यापारियों से बात की तो पता चलता है कि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम 500 रुपए यहां खर्च कर रह है। यानी 250 करोड़ रुपए तो हर महीने बाजार में आ ही रहे हैं। लेकिन पूरे साल में ये राशि 3000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है। निश्चित ही इससे उज्जैन की अर्थव्यवस्था में बदलाव के संकेत है और यह यहां के हर रहवासी के लिए शुभ है। 

कलेक्टर बोले – उज्जैन के इकोनॉमी 

की अब एजेंसियों से स्टडी करवा रहे

 

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं उज्जैन के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम का कहना है कि यह बात सही है धार्मिक नगरी की इकोनॉमी चेंज हुई है। इसलिए प्रशासन अपने स्तर पर एजेंसियों से भी इसकी पूरी स्टडी करवा रहा है। ताकि भविष्य में इसमें वृद्धि के लिए और क्या किया जा सकता है उस पर प्लान किया जा सके। यह चेंजेस 10 माह में ही देखनो को मिला है। 

इन 3 बड़े उदाहरणों से ही समझे 

कैसे बदली उज्जैन की इकोनॉमी

1 – महाकाल मंदिर में रोज 50 लाख दान आ रहा

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी की माने तो पिछलों कुछ सालों तक मंदिर में रोज 7 से 8 लाख रुपए की दान राशि प्राप्त होती थी। अब 40 से 50 लाख रुपए तक रोज हो गई है। अप्रैल और मई महीने में मिलाकर कुल 27 करोड़ रुपए का दान मंदिर को प्राप्त हुआ है। 

2 – जमीनों के सौदे हर माह एक हजार तक बढ़ रहे

जिला पंजीयन कार्यालय के रिकॉर्ड अनुसार पिछले साल तक जनवरी से जुलाई में 39431 जमीनों के सौदे हुए थे। जबकि महाकाल लोक बनने के बाद देखे तो इसी साल इन्हीं 7 महीनों में 46,151 हजार सौदे हो गए है।

3 – उज्जैन की होटलें वीकेंड में 100 प्रतिशत बुक 

उज्जैन नगर निगम के कमिश्नर रोशन सिंह ने बताया उज्जैन में 20 से 25 बड़े व 350 से 500 तक छोटे होटल, गेस्ट हाउस व यात्री गृह बने हैं। महाकाल लोक बनने के बाद से देखने में आया कि प्रति शनिवार, रविवार व सोमवार को तो सभी 100 प्रतिशत बुक चल रहे है। बाकी दिनों में भी 50% तक भरे रहते हैं।