शिप्रा किनारे पेड़ पर बाबा ने बनाया बसेरा, उज्जैन में कई वर्षों से पेड़ पर घर बनाकर गुजार रहे हैं दिन रात..

उज्जैन। आपने कई बाबाओ के बारे में सुना होगा, लेकिन हम जिस बाबा के बारे में आपको बताने वाले हैं उनकी विशेषता अन्य बाबाओ से अलग हटकर हैं…. यह बाबा शिप्रा किनारे छोटे पुल के समीप धरती से 12 फीट ऊपर पेड़ पर घर बनाकर रहते हैं और केवल तभी नीचे आते हैं जब सुबह के समय उन्हें स्नान करना होता है। इलाके के स्थानीय लोग कहते हैं कि उनमें एक विशेष प्रकार की शक्ति है।खबर के मुताबिक बाबा की उम्र करीब 70 साल से ज्यादा है। बाबा साधु की वेशभूषा में रहते हैं और लोगों ने इन्हें नागा बाबा उपनाम दिया है। दैनिक अवंतिका के संवाददाता ने बाबा से बात की तो उन्होंने अपना नाम श्री महंत आनंद गिरि बताया और आगे पूछा तो सिर्फ कुछ सवालों के जवाब दिए और फिर पेड़ पर बनी कुटिया में चले गए।
बाबा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उनके पास आने वाले लोगों से वह पैसे नहीं लेते हैं। वह खाना कहां बनाते हैं और कहां खाते हैं इसके बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं है। सुबह सिर्फ एक शख्स उन्हें गाय का दूध जरूर उपलब्ध करवाता है।

 

बाबा को देखने के लिए कई लोग आते हैं

बाबा सिर्फ पेड़ पर ही नहीं चढ़ जाते हैं, बल्कि वह शाखाओं और पत्तियों पर भी हैरतअंगेज तरीके से संतुलन बना सकते हैं।आलम ये हो गया है कि शिप्रा नदी में स्नान के लिए आने वाले लोग जब बाबा को ऊपर पेड़ पर देखते हैं तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं साथ ही उनके दर्शन के लिए भी कई लोग पहुंचते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बाबा पीपल के पेड़ पर ही रात गुजारते हैं।

निर्वस्त्र रहते हैं बाबा

बाबा को कभी कभार ही नीचे देखा जाता है कहते हैं कि वह निर्वस्त्र रहते हैं और ऊंची मचान पर बैठे बाबा हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं।

कई वर्षों से है बाबा पेड़ पर

दानी गेट छोटे पुल के समीप शिप्रा किनारे पीपल के पेड़ के ऊपर मचान बनाकर रहने वाले बाबा के बारे में कई रोचक जानकारियां सामने आई है।बाबा किसी भी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करते हैं और ना ही किसी से भिक्षा लेते हैं। इसके अलावा उनके पास आने वाले भक्तों से भी वह ज्यादा बात नहीं करते हैं। पिछले 20 वर्षों से पीपल के पेड़ पर घर बनाकर रहते हैं।

बाबा का लकड़ी से ज्यादा लगाव

आसपास के लोगों का कहना है कि बाबा को सबसे ज्यादा लकड़ी से लगाव है पेड़ पर रहने के लिए जो कुटिया बनाई है वहां कई संख्या में लकडीयां बटोरकर अपने पास रखी है ओटले के आसपास भी लकड़ी के कटे वृक्ष पड़े हैं।

 

इस घटना के बाद लिया बाबा ने पेड़ के ऊपर रहने का प्रण

बाबा पहले पीपल के पेड़ के नीचे बने ओटल पर रहते थे। लेकिन कुछ साधु संतों ने उनके यहां रहने पर आपत्ति ली तो उन्होंने ओटले पर रहना छोड़ दिया।तभी से पीपल के पेड़ पर लकड़ी का घर बनाकर उसमें रहने लगे। वहीं रहने वाले जाकीर नामक युवक ने बताया कि जब शिप्रा नदी में बाढ़ आती है तब भी बाबा पेड़ से नहीं उतरते हैं।

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