“हुनर उम्र का मोहताज नहीं”, वर्षों से वरिष्ठ नागरिक डे केयर सेंटर इस पंक्ति को जीवंत करता आ रहा है

इंदौर। कहते हैं कि उम्र के पड़ाव पार करते-करते कई ऐसी गतिविधियाँ होती हैं, जिनसे मन और शरीर किनारा करने लगता है। बेशक, ऐसा हो सकता है, लेकिन शत-प्रतिशत नहीं। हुनर एक ऐसा जरिया है, जो उम्र का मोहताज नहीं। यह जिस बगिया में एक बार उपजता है, फिर जीवन पर्यन्त फल देता रहता है। फिर उम्र का पर्दा चाहकर भी इसे ढक नहीं सकता।

इंदौर स्थित समाजसेवी संस्था बीइंग रेस्पॉन्सिबल द्वारा संचालित वरिष्ठ नागरिक डे केयर सेंटर इस बात का जीता-जागता सबूत है कि यदि आप में कला है, तो वह उम्र की बेड़ियों को तोड़कर भी निखरकर सामने आ ही जाएगी। सेंटर से जुड़े सदस्यों में बड़ी संख्या में गायन की प्रतिभा बेशुमार है। प्रति सोमवार यहाँ का समां देखते ही बनता है, जब सुरों की महफिल सजती है और एक से बढ़कर एक तान यहाँ के प्रतिभाशली सदस्य छेड़ते जान पड़ते हैं।

पचपन में दिखता है बचपन…

सबसे खास बात यह है कि इन सभी सदस्यों की उम्र 60 वर्ष से अधिक है, लेकिन जब ये एक से बढ़कर एक सुर खींचते हैं, तो इनका जोश और उत्साह किसी बच्चे के सौम्य स्वभाव जैसा जान पड़ता है। अपनी परफॉर्मेंस देने की ललक देखती ही बनती है। जब सदस्य गायन कर रहे होते हैं, तो 6 से लेकर 8 दशकों के उनके जीवन का अनुभव तल्लीनता से निखरकर सामने आता है, जो वास्तव में देखने लायक होता है।

दिग्गज गायकों के जन्मदिवस और पुण्यतिथि पर सजती है अलग महफिल..

प्रत्येक सोमवार को सेंटर पर फिल्मी गीतों पर गायन की गतिविधि का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी उत्साह से भाग लेते हैं और मनोरंजन कर गीत-संगीत का लुत्फ उठाते हैं। बीते 27 अगस्त को दिग्गज भारतीय पार्श्व गायक मुकेश चंद माथुर की 42वीं पुण्यतिथि थी। इस मौके पर सोमवार को शानदार महफिल सजाई गई, जिसमें सभी सदस्यों ने मुकेश द्वारा गाए गए गानों को एक बार फिर जीवंत कर दिया। हम तो तेरे आशिक है सदियों पुराने, डम-डम डिगा-डिगा, क्या खूब लगती हो, फूल तुम्हें भेजा है खत में, आवारा हूँ, मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूँगा सदा, इक प्यार का नगमा है, मैं न भूलूँगा, आदि जैसे मुकेश के जिंदादिल गानों के माध्यम से वरिष्ठ सदस्यों ने खूबसूरती से समां बाँध दिया। पिछले महीने रफी साहब की पुण्यतिथि पर भी सुर और तान की सभा देखने लायक थी। सदस्य किसी भी गायक के जन्मदिन और पुण्यतिथि के मौके को नहीं भूलते और अपनी दिलकश आवाज़ से उन्हें याद करते और पुण्यतिथि के दौरान श्रद्धांजलि देते हैं।

जोड़ों के दर्द के मामले में मालिश सोने पर सुहागा..

बुज़ुर्ग यदि किसी समस्या से सबसे अधिक ग्रसित रहते हैं, तो वह है जोड़ों की समस्या। जीवन में कई तरह जिम्मेदारियाँ निभाने और बच्चों को सर्वोत्तम जीवन देने की भागदौड़ के साथ उम्र के इस पड़ाव तक आते-आते जोड़ों की समस्या होना आम बात है। बुज़ुर्गों को होने वाली इस समस्या को बीइंग रेस्पॉन्सिबल गहनता से समझता है। संस्था द्वारा निःस्वार्थ भावना से सभी सदस्यों को पूरी तरह निःशुल्क मालिश की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। हफ्ते में एक दिन की मालिश की इस सुविधा से सभी सदस्य चुस्त और दुरुस्त हो जाते हैं और एक अलग ऊर्जा के साथ पूरे हफ्ते अलग-अलग गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

इसी वर्ष मनाया मुस्कुराहट का एक दशक…

यह वरिष्ठ नागरिक डे केयर सेंटर महालक्ष्मी नगर के पायोनियर कॉलेज में स्थित है, जिसकी नींव 15 मई, 2013 को बीइंग रेस्पॉन्सिबल संस्था ने रखी थी। इस वर्ष की 15 मई को सेंटर में मुस्कुराहट का एक दशक मनाया गया। सेंटर से 70 से अधिक सदस्य जुड़े हुए हैं। वे न सिर्फ हर दिन यहाँ तम्बोला, चेस, कैरम, एक्यूप्रेशर जैसी विभिन्न इंडोर एक्टिविटीज़ का लुफ्त उठाते हैं, बल्कि निश्चित समय अंतराल में होने वाले आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लेते हैं। हर वर्ष वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें उम्र की सीमा से परे सदस्य नृत्य, संगीत, फैशन शो, कविता और क्विज़ जैसी कई गतिविधियों का खूब आनंद लेते हैं।