फिर बढ़े वाहन ईंधन के दाम: 18 माह में पेट्रोल 36 रुपये, डीजल 26.58 रुपये लीटर हुआ महंगा
ब्रह्मास्त्र इंदौर। वाहन ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। शनिवार को लगातार चौथे दिन पेट्रोल और डीजल कीमतों में बढ़ोतरी हुई। पेट्रोल और डीजल दोनों के दाम 35-35 पैसे प्रति लीटर और बढ़ गए हैं। इस बढ़ोतरी के साथ मई, 2020 की शुरुआत से यानी 18 महीने से कम समय में पेट्रोल 36 रुपये लीटर महंगा हो चुका है। इस दौरान डीजल कीमतों में 26.58 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों की मूल्य अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली में अब एक लीटर पेट्रोल की कीमत 107.24 रुपये प्रति लीटर हो गई है। वहीं डीजल 95.97 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं जिसका असर यहां भी दिख रहा है। देश के सभी प्रमुख शहरों में पेट्रोल शतक के पार जा चुका है। वहीं एक दर्जन से अधिक राज्यों में डीजल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक बिक रहा है।
सरकार द्वारा पांच मई, 2020 को उत्पाद शुल्क को रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ाने के बाद से पेट्रोल 35.98 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है। वहीं इस दौरान डीजल कीमतों में 26.58 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 19 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आने के बाद सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था। हालांकि, उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम सुधरकर 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं, लेकिन पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32.9 रुपये प्रति लीटर पर कायम है। इसी तरह डीजल पर भी उत्पाद शुल्क 31.8 रुपये प्रति लीटर पर बना हुआ है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा था कि वाहन ईंधन पर उत्पाद शुल्क कटौती ‘अपने पैर पर कुल्हाड़ी’ मारने के समान होगी। उन्होंने कहा था कि इस तरह के शुल्कों से सरकार मुफ्त कोविड-19 टीकाकरण, अनाज और रसोई गैस वितरण जैसी योजनाएं चला रही है। इससे महामारी के दौरान लाखों लोगों को मदद मिली है।
उत्पाद शुल्क कटौती पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं वित्त मंत्री नहीं हूं इसलिए इसका जवाब देना उचित नहीं होगा। जो 32 रुपये प्रति लीटर हम जुटा रहे हैं उससे हम कल्याण योजनाएं चला रहे हैं। इनमें एक अरब टीकाकरण भी शामिल है।’’ विपक्षी कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रही है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार को वाहन ईंधन पर शुल्कों में कटौती करनी चाहिए।