देवास : बारिश की खेंच से सोयाबीन की फसल प्रभावित चारों ओर से एक ही आवाज सूखाग्रस्त घोषित कर राहत राशि एवं प्रधानमंत्री बीमा का सर्वे कर मुआवजा दिया जाए

देवास ।  जिले से प्रदेशभर में बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं। बारिश की खेंच ने किसानों की चिंता को बढ़ा दी है। इंद्रदेव को मनाने के लिए ग्रामीण परंपरागत तरीके अपना रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को कई दिनो से रूठे इंद्र देवता को मनाने के लिए ग्राम सिंगावदा में बाग रसोई का आयोजन ग्रामीणों द्वारा किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने हिस्सा लिया। गौरव पटेल एव पटेल परिवार ने बताया कि बाग रसाई आयोजन के एक दिन पहले पटेल द्वारा गांव में दुण्डी पिटाई जाती है कि खेत पर भोजन बनाकर खाना है। इसके तहत घरों से दूर जाकर जंगलों तथा खेतों में सामूहिक रूप से ग्रामीणों ने दाल-बाटी सहित अन्य पकवान बनाकर खुले आसमान के तले भोजन ग्रहण करते हुए इंद्रदेव से अच्छी वर्षा की कामना की। ग्रामीण जनों ने इंद्र देवता को मनाने के लिए भजन कीर्तन भी किए। मान्यता है कि इस तरह बाग रोटी के आयोजन से इंद्रदेव प्रसन्न होकर अच्छी वर्षा करते हैं।
मध्यप्रदेश शासन से सम्मानित युवा कृषक धर्मेंद्रसिंह राजपूत ने देवास के आसपास ग्राम छोटी चुरलाई, बड़ी चुरलाई, खोकरिया, मलेंडिया आदि खेतों में किसानों के साथ निरीक्षण कर फसलों की स्थिति पर जानकारी ली। राजपूत ने बताया, कि बारिश नहीं होने से सोयाबीन को काफी नुकसान हुआ है। इनमें फलियां छोटी रह गई। तेज धूप में सोयाबीन के पौधे मुरझाने लगे हैं। सरकार द्वारा जल्द ही खेतों में सर्वे करवाकर किसानों को बीमा व राहत राशि प्रदान करना चाहिए। राजपूत ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मांग करते हुए कहा, कि जल्द ही प्रभावित फसलों का सर्वे करवाएं और जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उन्हें बीमा व राहत राशि प्रदान की जाएं। बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि भी खेतों में जाकर प्रभावित फसल का निरीक्षण करें।
रुनीजा
एक बार फिर मौसम की बे रुखि के चलते तथा बारिश की लंबी खेच के कारण चारो ओर मायूसी का माहौल है। हर कोई एक ही अरदास कर रहा अब तो प्रभु राहत की बारिश करो। अन्नदाता आफत में है। कुछ क्षेत्र में 15 दिन से अधिक समय हो गया है।बारिश की जगह भयंकर गर्मी गिर रही है।सोयाबीन सूखने के कगार पर पहुच चुकी हैं। चारों ओर से एक ही आवाज उठ रही है। क्षेत्र को सुखा घोषित कर तत्काल राहत राशि के साथ प्रधानमंत्री बीमे का सर्वे करवाकर मुआवजा दिया जावे।
इस संदर्भ खेड़ावदा सरपंच राजेश धाकड़ एवं किसान उत्पादक किसानों ने एक ही मांग आत्मनिर्भर किसान तो हो जाएगा लेकिन सरकार को भी आत्मनिर्भरता दिखानी होगी। किसानों के साथ खेत पर आकर पटवारी की हड़ताल खत्म कर किसानों की समस्या को भी जानना होगा।
बड़नगर उज्जैन समेत समूचे मालवा में इस साल बारिश असरदार नहीं रही है। खेतों के हालात बद से बद्तर हो गए हैं। सोयाबीन फसल 100% नष्ट हो चुकी है। जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जावे । इधर, मुआवजे की बात करें तो प्रशासन सुस्त बैठा हुआ है। सरकार के माननीय (विधायक, सांसद) चिट्ठी के खेल में व्यस्त हैं।
बारिश की अनिश्चितता ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। किसानों के पास सिंचाई के साधन तक नहीं हैं। वे जैसे तैसे फसलों को बचाने में लगे हैं। जबकि बारिश पर निर्भर किसान तो फसलों को बचा भी नहीं पा रहे। तेज धूप के चलते किसानों की फसलें मुरझाकर सूख गई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अगर सात दिनों में बारिश हो जाती है तो यह फसलों के लिए अमृत है, लेकिन फली आने के बाद बारिश होती है तो इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। फल्लियों में ही अंकुरण होने से फसलें खराब हो जाएगी। इधर, जमीनी हकीकत बयां करती है कि, सोयाबीन फसल में 100% नुकसान है, सरकार का राजस्व नियम तो 60% से ज्यादा नुकसानी को ही 100% मानता है। ऐसे तत्काल मुआवजा राशि दिया जाना चाहिए।