स्कैम 2003 : वेब सीरीज़ V/S किताब – एक अनूठा साक्षात्कार

इन दिनों एक वेब सीरीज सोनी लिव पर ‘स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी’ ने मनोरंजन की दुनिया में हंगामा बरपा रखा है। न सिर्फ यह वेब सीरीज सुपर हिट हुई है, बल्कि नये रेकॉर्ड भी बना रही है। ये कहानी है अब्दुल करीम तेलगी नाम के घोटालेबाज की, जिसने फर्ज़ी सरकारी स्टैंप पेपर छापने शुरू कर दिए थे और 30 हज़ार करोड़ रुपए का घपला किया था। इसके स्कैम को उजागर किया था मशहूर पत्रकार श्री संजय सिंह ने और उनकी लिखी किताब को आधार बनाकर यह वेब सीरीज बनी है। अब किताब का सनसनीखेज अपडेटेड एडिशन ‘तेलगी: रिपोर्टर की डायरी’ भी वेब सीरीज के साथ लॉंच हुआ है और चर्चा में बना हुआ है। इस बहुचर्चित किताब के यशस्वी लेखक श्री संजय सिंह से इस सनसनीखेज उपलब्धि पर बातचीत की स्वतंत्र पत्रकार श्री गजानन महतपुरकर ने और यह अनूठा साक्षात्कार आप सभी पाठकों के सादर पठनार्थ यहॉं प्रकाशित किया जा रहा है।

सवाल : संजय जी, सबसे पहले तो आपको इस शानदार उपलब्धि पर हार्दिक बधाई और आपकी सक्रिय रचनाधर्मिता का हार्दिक अभिनन्दन..! पहले से ही गूगल पर इतना कंटैंट है और अब वेब सीरीज भी , ऐसे में अब आपकी किताब का क्या महत्त्व रह जाता है ?

जवाब : धन्यवाद गजानन जी, जो कंटेन्ट मेरी किताब के अलावा मौजूद है और किताब में उपलब्ध है , दोनों में काफी फ़र्क है । माउंट एवरेस्ट पर कई लोग चढ़े हैं, मगर आपको नाम सबसे पहले फतह करने वाले का ही याद रह जाता है। वैसे ही यहाँ-वहाँ से सामग्री, जिसमें ज़्यादातर मेरी किताब से उठाकर लिखना और बात है, मगर उनमें और मेरी किताब में फ़र्क समझिये। ये किताब इसलिए महत्त्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यहाॅं कमेंटेटर मैच के खत्म होने के बाद टीवी फुटेज देखकर उस पर कमेंट्री कर ज्ञान नहीं झाड़ रहा था। समझ लीजिये कि जब ये मैच चल रहा था, तब मैं स्टेडियम में मौजूद था, मैं ग्राउंड पर था, मैं उस पिच पर भी था, जिस पर खेल हो रहा था। चूॅंकि ये एक फर्स्ट हैंड एक्सपीरियंस था, इसलिए इस किताब को डायरी फाॅर्मेट में दर्ज किया। 25 साल से ज्यादा लम्बे मेरे पत्रकारिता जीवन में कई खबरें आईं और गईं। कई सारे पर्दाफ़ाश किये, मगर तेलगी स्कैम जैसा कुछ नहीं। इसके सिलेसिलेवार कवरेज के दौरान अनेक नये, रोमांचक और डरावने अनुभवों से गुजरा। साम, दाम, दंड, भेद के परीक्षणों से सामना करना पड़ा। सत्तारूढ़ बड़े राजनेताओ से लेकर खतरनाक पुलिसवालों से भिड़ना पड़ा। प्रलोभन और धमकियाँ मिलीं। यहाँ तक कि महाराष्ट्र के पूर्व होम मिनिस्टर और उप मुख्यमंत्री ने भरी प्रेस कांफ्रेस मे मुझे देखकर चप्पल उतारने की धमकी दे डाली । मगर हौसला पस्त नहीं होने दिया और भूत की तरह खबरों के पीछे भागता रहा। साथ ही अपने पत्रकारिता के मूल्यों को बरकरार रखने की भरपूर कोशिश की। ये किताब भी इसी कोशिश की निरंतरता के दायरे में आती है। 2003 की पत्रकारिता को 2023 की पत्रकारिता के नज़र से न देखें। मौजूदा दौर एक अलग दौर है।

सवाल : वेब सीरीज तक बात कैसे पहुॅंची ?

जवाब : ‘स्‍कैम 1992 : द हर्षद मेहता स्‍टोरी’ के जबरदस्त हिट होने के बाद सोनी लिव के प्रतिनिधि मुझे मिले और शुरुआती बातचीत के बाद ऑफिशियल एनाउसमेंट किया गया कि सोनी लिव के लिए एप्लाॅज इंटरटेनमेंट इस वेब सीरीज को बनायेंगे और श्री हंसल मेहता इसके शो रनर होंगे, जिसके बाद कई सेशन में स्क्रीनप्ले लिखने वालों के साथ बैठना पड़ा। आखिरकार एक बेहतरीन सीरीज बनकर तैयार हुई। अभिनय , निर्देशन , स्क्रिप्ट सब कुछ जबरदस्त था । श्री गगन देव रियार ने तो तेलगी के किरदार को जीवंत कर दिया। मैंने गगनदेव से कहा कि तुमसे बेहतर कोई और तेलगी का रोल नहीं कर सकता था।

सवाल : किताब के अपडेटेड एडिशन को तीन भाषाओं में लाया गया है ?

जवाब : एक सैडिस्टिक गर्व की बात थी, क्योंकि अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद के मुकाबले हिंदी से अंग्रेज़ी में अनुवाद हुई पुस्तकों की संख्या बेहद कम होती है। हार्परकॉलिन्स ने इसे हिन्दी और अँग्रेज़ी में छापा है, जबकि मेहता पब्लिशिंग हाउस ने इसे मराठी में छापा है। चूंकि महाराष्ट्र इस स्कैम का एपीसेंटर था, इसलिए मराठी में इसका एक बड़ा दर्शक वर्ग है । किताब पर पाँच भाषाओं में वेब सीरीज बनी। वेब सीरीज की पहुँच बहुत बड़ी थी, जिसका फायदा किताब को भी मिला। किताब को अभूतपूर्व प्रचार- प्रसार मिला । आज ना सिर्फ भारत में, बल्कि उसी किताब को कई सारे इंटरनेशनल एयरपोर्ट और विदेशों के बड़े बुक-स्टोर में देखकर खुशी मिलती है।

सवाल : अपडेटेड एडिशन की ज़रूरत क्यों पड़ी? इसमे नया क्या है ?

जवाब : दरअसल, ये किताब दो अलग अलग टाइम डायमेंशन में लिखी गयी। पहला एडिशन लिखा गया था 2004 में और उसके बाद मौजूदा अपडेटेड एडिशन 2021 में। इसके पीछे वजह थी इस पर वेब सीरीज का बनना। हार्पर कॉलिंस के श्री सचिन शर्मा ने मुझे प्रोत्साहित किया कि इस किताब का एक अपडेटेड वर्जन लाऊँ। मुझे ये बात तर्कसंगत भी लगी, क्योंकि फर्स्ट एडिशन 2004 में आया था और उसके बाद भी इस मामले में बहुत कुछ हुआ और होता रहा 2017 तक। मैं उस डेवलपमेंट को लगातार फॉलो तो कर रहा था, इसीलिये उसको लिखना ज़रूरी था, वरना किताब अधूरी लगती। मगर ये आसान काम नहीं था क्योंकि काफी अरसा गुजर गया था। बहरहाल, फिर से दस्तावेज खंगाले गये। इस केस से जुड़े लोगों से मिला। सारे घटनाक्रम को एक सूत्र में पिरोया गया। ये अपडेटेड एडिशन, पहले एडिशन के मुक़ाबले कंटेंट में डबल , ज्यादा दमदार , एक्सट्रा स्ट्रॉंग, ज्यादा सनसनीखेज जानकारी और शुरू से आखिर तक मुकम्मल है। एकदम डिटेल में नहीं बता सकता, वरना आप किताब खरीदकर नहीं पढ़ेंगे।

सवाल : जब वेब सीरीज आ गई है, इतने बड़े पैमाने पर देखी गई है , तब क्या किताब की रीडरशिप पर इसका नेगेटिव असर नहीं होगा ?

जवाब : वेब सीरीज़ और किताब एक दूसरे के पूरक होते हैं। दोनों कहीं से भी एक दूसरे को काटते नहीं हैं या प्रतिस्पर्धा नहीं करते, बल्कि सच्चे मायने में पूरक हैं। वेब सीरीज का अपना दर्शक वर्ग होता है और किताब का अपना पाठक वर्ग। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सरल और मनोरंजक तरीके से कहानी पहुॅंचे, इसलिए वेब सीरीज का अपना स्टाइल होता है । किताब ज्यादा तथ्यपरक होती है और उसका अपना स्टाइल होता है। वेब सीरीज एक पत्रकार की नज़र से तेलगी की गाथा है, जबकि किताब एक पत्रकार द्वारा तेलगी स्कैम के एक्स्पोज़र की कहानी है। तो कोई दुहराव या ओवर-लैपिंग नहीं है। जैसे हम चिकन बिरयानी भी खाते हैं और चिकन करी को चावल के साथ भी खाते हैं । दोनों मे लगभग एक ही जैसे मसाले, वही चावल, चिकन , तेल-घी होता है मगर बनाने का अंदाज अलग अलग होता है और आपने देखा होगा कि बुफ़े मे लोग एक ही प्लेट में दोनों डिश लेते हैं। समझिये यहाँ वेबसीरीज और किताब का भेद और अंतर सम्बंध भी वैसे ही हैं । किताब में ऐसा बहुत कुछ है, जो लिमिटेशन के चलते वेब सीरीज में शामिल नहीं किया जा सका। खास बात यह है कि इस वेब सीरीज के नवम्बर में आने वाले सेकंड वॉल्यूम में मेरा किरदार भी है, जिसे निभाया है टैलेंटेड अभिनेता गोदान कुमार ने।

सवाल : कैसा फीडबैक मिल रहा है ? अगर किसी दर्शक या समीक्षक को आपसे सवाल करना हो या आलोचना करनी हो , तो आप तक कैसे पहुॅंच सकते हैं ?
जवाब : वेब सीरीज और किताब, दोनों को फीडबैक जबर्दस्त मिल रहा है । आप गूगल पर तेलगी स्कैम और संजय सिंह डाल कर सर्च कीजिये , आपको खुद ही पता चल जायेगा। हर सुझाव, समालोचना और सवाल का हमेशा स्वागत है। ये किसी भी लेखक को बेहतर बनाती है। जिन दर्शकों या पाठकों को कमेंट करना है, वह अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मुझे @sanjayreporting @HarperCollinsIN पर टैग कर सकते हैं । साथ ही जोड़ दें #scam2003book #Scam2003 #Scam2003OnSonyLIV #TelgiBook #तेलगी #TelgiReporterDiary #HansalMehta #MehtaPublishing @ApplauseSocial @SonyLIV @sonylivindia । मैं ज़रूर हर पाठक –दर्शक से जुड़ने और जवाब देने की कोशिश करूंगा। ओटीटी का मौजूदा दौर क्राइम लेखकों के लिए गोल्डन पीरियड है। मेरी तीन और किताबे हैं, जिन पर वेब सीरीज बन रही है और वे अगले साल 2024 मे रिलीज होंगी।

किताब लेखक का परिचय :-

लेखक श्री संजय सिंह एक वरिष्ठ खोजी पत्रकार हैं। अपने 25 साल के पत्रकारिता करियर में उन्होंने ज़ी न्यूज, एनडीटीवी, टाइम्‍स नाऊ, आईबीएन, न्‍यूजएक्‍स जैसे चैनलों में काम किया। तेलगी घोटाले से लेकर कई सारे अन्य बड़े घोटालों का उन्होंने पर्दाफ़ाश किया। तेलगी घोटाले पर लिखी हुई उनकी इस किताब पर बनी वेब सीरीज ‘स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी’ ने इन दिनो हंगामा बरपा रखा है। सोनी लाइव पर स्‍ट्रीम हुई इस वेब सीरीज का निर्माण एप्लाॅज़ एंटरटेनमेंट ने किया है और निर्देशित किया है जाने माने फ़िल्मकार हंसल मेहता ने। उनकी अन्य तीन किताब ‘सी.आई.यू.: क्रिमिनल्स इन यूनिफार्म’, ‘एक थी शीना बोरा’ और ‘रंगा-बिल्ला: नेशन एमबुश्ड़’ पर भी वेब सीरीज निर्माणाधीन हैं और साल 2024 में रिलीज होंगी। मुंबई यूनिवर्सिटी से पीएचडी और लॉ ग्रेजुएट श्री संजय सिंह कई सारे शैक्षणिक संस्थानों से बतौर एकेडि‍मिशियन भी जुड़े हुए हैं।