डिग्री वेरीफिकेशन के आवेदन बड़े, फर्जी डिग्री के बाद सतर्क हुआ विश्वविद्यालय
कई तरह के बदलाव करेंगे, छात्रों को मिलेगी फुल सुरक्षा
नगर प्रतिनिधि इंदौर
फर्जी डिग्री बनाने वाला गिरोह पकड़ने के बाद देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में डिग्री वेरिफिकेशन के लिए आवेदन अचानक बढ़ गए हैं। देश के अलग-अलग राज्यों, शहरों से यूनिवर्सिटी, कंपनियां डिग्री वेरिफिकेशन के लिए संपर्क कर रही हैं। डिग्री वेरिफिकेशन के आवेदन विदेशों से भी आ रहे हैं।
इंदौर सहित देश के कई इलाकों में फर्जी डिग्री के मामले सामने आ चुके हैं। इसी चलते कंपनियां अब अपने यहां पर कर्मचारी की नियुक्त करने के साथ ही ही उसकी डिग्री की भी जांच करवा लेते हैं। कहीं उसने फर्जी डिग्री या मार्कशीट दिखाकर नौकरी तो नहीं पाई है।
वह ई-मेल या फिर अन्य जरियों से अपने यहां के कर्मचारियों की डिग्री के वेरिफिकेशन के लिए विश्वविद्यालय को आवेदन करते हैं। इस आवेदन के आधार पर डीएवीवी सत्यापन कर बताता है कि डिग्री सही है कि नहीं। पहले एक दिन में आठ से दस आवेदन आते थे, अब इनकी संख्या 25 से ज्यादा हो गई। इसके चलते विश्वविद्यालय का काम भी बढ़ गया है।
यह है प्रक्रिया
विश्वविद्यालय के पास में रिकॉर्ड रहता है। कोई भी आवेदन करता है तो विश्वविद्यालय उससे करीब पांच सौ रुपए का चार्ज लेता है। इसके बाद संबंधित विभाग के पास में मामला भेजा जाता है। वह अपने रिकॉर्ड के आधार पर इसे चेक करता है। इसके बाद सील बंद लिफाफे से या फिर उसकी कापी को स्कैन करने ई-मेल पर संबंधित को भेज दी जाती है।
सबसे ज्यादा फर्जी डिग्री नॉर्थ ईस्ट से
देवी अहिल्या विवि से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा डिग्री वेरिफिकेशन के मामले नॉर्थ ईस्ट राज्यों व ओडिशा से आ रहे हैं। वहां कई लोगों के पास डीएवीवी की डिग्री मिली है। इसके चलते डीएवीवी के निर्धारित मापदंडों के आधार पर डिग्री का वेरिफिकेशन कर जानकारी संबंधित यूनिवर्सिटी या कंपनियों को भेजी जा रही है। नॉर्थ ईस्ट के कई मामले में डिग्री फर्जी निकलती है। उन मामलों को पुलिस को सौंप दिया जाता है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय हमेशा से ही छात्रों के हित में काम करता हुआ आया है। ऐसे में पिछले दिनों जो मार्कशीट का फर्जी बाद उजागर हुआ है। उसे विश्वविद्यालय की छवि को भी काफी हानि हुई है। अब हम ज्यादा से ज्यादा सतर्कता बरत रहे हैं, तो वहीं आगामी समय में कई तरह के बदलाव भी देखने को मिलेंगे।
डॉ. अजय वर्मा, रजिस्ट्रार, डीएवीवी